Comments - दो तनिक मुझ मूढ़ को भी ज्ञान अब माँ शारदे-गजल - Open Books Online2024-03-28T15:01:19Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1097067&xn_auth=noआ. भाई गुरप्रीत जी, सादर अभिव…tag:openbooks.ning.com,2023-02-01:5170231:Comment:10985612023-02-01T09:52:28.629Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई गुरप्रीत जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी जानकर हर्ष हुआ। उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार.। </p>
<p>आ. भाई गुरप्रीत जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी जानकर हर्ष हुआ। उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार.। </p> आ. भाई फूल सिंह जी, सादर अभिव…tag:openbooks.ning.com,2023-02-01:5170231:Comment:10983982023-02-01T09:49:43.856Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई फूल सिंह जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई फूल सिंह जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।</p> वाह वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी म…tag:openbooks.ning.com,2023-01-29:5170231:Comment:10979512023-01-29T11:35:19.229ZGurpreet Singh jammuhttps://openbooks.ning.com/profile/GurpreetSingh624
<p>वाह वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी, इस रंग में क्या ख़ूब लिखा है आपने। मुझे बहुत अच्छी लगी आपकी ये ग़ज़ल। बहुत ही सहज और पूरी सफलता से भावना व्यक्त करती हुई।बहुत बधाई आपको। सातवें शेर में ' ना ' को आपने 2 के वज़न पर लिया है। बाकी गुणिजन अधिक बता पाएंगे।</p>
<p>वाह वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी, इस रंग में क्या ख़ूब लिखा है आपने। मुझे बहुत अच्छी लगी आपकी ये ग़ज़ल। बहुत ही सहज और पूरी सफलता से भावना व्यक्त करती हुई।बहुत बधाई आपको। सातवें शेर में ' ना ' को आपने 2 के वज़न पर लिया है। बाकी गुणिजन अधिक बता पाएंगे।</p> सर बहुत सुंदर रचना बधाई स्वीक…tag:openbooks.ning.com,2023-01-27:5170231:Comment:10974112023-01-27T09:24:07.805ZPHOOL SINGHhttps://openbooks.ning.com/profile/PHOOLSINGH
<p>सर बहुत सुंदर रचना बधाई स्वीकार करें</p>
<p>सर बहुत सुंदर रचना बधाई स्वीकार करें</p>