Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T12:10:52Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1097057&xn_auth=noआ. अनीता जी, सादर अभिवादन। गज…tag:openbooks.ning.com,2023-02-02:5170231:Comment:10984992023-02-02T10:27:28.398Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<div align="left"><p dir="ltr">आ. अनीता जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है पर यह और समय चाहती है। कुछ सुझाव के साथ फिलहाल इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई।</p>
<p dir="ltr">/बनोगे जो धरती के चाँद सूरज |//यह मिसरा बह्र में नहीं है।<br></br> बनोगे जो भू के कभी चाँद सूरज" या<br></br> बनोगे धरा के अगर चाँद सूरज</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">वो आँखें तुम्हें <u><b>को</b></u> दिखाने लगेंगे ||9</p>
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<div align="left"><p dir="ltr"><b>बढ़ाते हैं नफरत…</b></p>
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<div align="left"><p dir="ltr">आ. अनीता जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है पर यह और समय चाहती है। कुछ सुझाव के साथ फिलहाल इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई।</p>
<p dir="ltr">/बनोगे जो धरती के चाँद सूरज |//यह मिसरा बह्र में नहीं है।<br/> बनोगे जो भू के कभी चाँद सूरज" या<br/> बनोगे धरा के अगर चाँद सूरज</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">वो आँखें तुम्हें <u><b>को</b></u> दिखाने लगेंगे ||9</p>
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<div align="left"><p dir="ltr"><b>बढ़ाते हैं नफरत अभी जो तुम्हारी</b></p>
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<div align="left"><p dir="ltr"><b>कि</b> तीरे नज़र के निशाने लगेंगे ||12</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">जिसे ख्वाब में रोज देखा किए <b>हम</b> |</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">//अलामत तरस पैरहन मुहब्बत हुई है |/</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">सहर-ए-हयात जगाने लगेंगे ||17</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">ये मिसरे भी बह्र में नहीं है।</p>
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