Comments - अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास - Open Books Online2024-03-29T12:33:06Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1094333&xn_auth=noआदरणीय मुसाफिर साहब हार्दिक आ…tag:openbooks.ning.com,2022-12-01:5170231:Comment:10946992022-12-01T05:37:28.662Zमनोज अहसासhttps://openbooks.ning.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>आदरणीय मुसाफिर साहब हार्दिक आभार</p>
<p>सादर</p>
<p>आदरणीय मुसाफिर साहब हार्दिक आभार</p>
<p>सादर</p> आदरणीय समर कबीर साहब
सादर प्र…tag:openbooks.ning.com,2022-12-01:5170231:Comment:10949222022-12-01T05:36:52.232Zमनोज अहसासhttps://openbooks.ning.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>आदरणीय समर कबीर साहब</p>
<p>सादर प्रणाम</p>
<p>कृपा दृष्टि बनाये रखें</p>
<p>बहुत बहुत आभार</p>
<p>सादर</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब</p>
<p>सादर प्रणाम</p>
<p>कृपा दृष्टि बनाये रखें</p>
<p>बहुत बहुत आभार</p>
<p>सादर</p> आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2022-11-29:5170231:Comment:10946672022-11-29T11:29:00.847Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। आ.भाई समर जी की सलाह से यह और निखर जायेगी।</p>
<p>आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। आ.भाई समर जी की सलाह से यह और निखर जायेगी।</p> // मुझे तो इसकी बह्र ठीक ही…tag:openbooks.ning.com,2022-11-28:5170231:Comment:10948132022-11-28T06:00:16.577ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p><span> // मुझे तो इसकी बह्र ठीक ही लग रही है//</span></p>
<p><span>बह्र ठीक है, मुझसे ही भूल हुई,क्षमा चाहता हूँ, आप जानते हैं आँखें कमज़ोर हैं ।</span></p>
<p><span><em>//अर शब्द का प्रयोग और के अर्थ में किया गया है//</em></span></p>
<p><i>"और" शब्द को "और" लिखना ही उचित होता है ।</i></p>
<p></p>
<p><i><span>'शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को'</span></i></p>
<p><i><span>इस मिसरे में 'की' को "के" कर लें ।</span></i></p>
<p><i><span>बाक़ी शुभ-शुभ ।</span></i></p>
<p></p>
<p><span> // मुझे तो इसकी बह्र ठीक ही लग रही है//</span></p>
<p><span>बह्र ठीक है, मुझसे ही भूल हुई,क्षमा चाहता हूँ, आप जानते हैं आँखें कमज़ोर हैं ।</span></p>
<p><span><em>//अर शब्द का प्रयोग और के अर्थ में किया गया है//</em></span></p>
<p><i>"और" शब्द को "और" लिखना ही उचित होता है ।</i></p>
<p></p>
<p><i><span>'शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को'</span></i></p>
<p><i><span>इस मिसरे में 'की' को "के" कर लें ।</span></i></p>
<p><i><span>बाक़ी शुभ-शुभ ।</span></i></p>
<p></p> हार्दिक आभार आदरणीय समर साहब…tag:openbooks.ning.com,2022-11-27:5170231:Comment:10946492022-11-27T12:52:00.370Zमनोज अहसासhttps://openbooks.ning.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>हार्दिक आभार आदरणीय समर साहब</p>
<p><span>'मन घिरा है वासना में,और मर्यादा में तन'--- इस मिसरे की बह्र देखें I <em>मुझे तो इसकी बहर ठीक ही लग रही है सर बाकी आप निर्देश देने की कृपा करें</em></span></p>
<p></p>
<p><span>'अर छुपाना भी कठिन है,उबले जल की भाप को'--- इस मिसरे में "आर" क्या है ?</span></p>
<p><em>इसमें अर शब्द का प्रयोग और के अर्थ में किया गया है....</em></p>
<p></p>
<p>'शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को'--- इस मिसरे में 'नाप' का क्या अर्थ है ?</p>
<p><em>इस मिसरे में नाप का…</em></p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय समर साहब</p>
<p><span>'मन घिरा है वासना में,और मर्यादा में तन'--- इस मिसरे की बह्र देखें I <em>मुझे तो इसकी बहर ठीक ही लग रही है सर बाकी आप निर्देश देने की कृपा करें</em></span></p>
<p></p>
<p><span>'अर छुपाना भी कठिन है,उबले जल की भाप को'--- इस मिसरे में "आर" क्या है ?</span></p>
<p><em>इसमें अर शब्द का प्रयोग और के अर्थ में किया गया है....</em></p>
<p></p>
<p>'शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को'--- इस मिसरे में 'नाप' का क्या अर्थ है ?</p>
<p><em>इस मिसरे में नाप का अर्थ लंबाई से है</em></p>
<p></p>
<p><em>बाकी गजल के विषय में आप अपनी राय देने की कृपा करें बहुत-बहुत आभार आदरणीय</em></p> जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2022-11-27:5170231:Comment:10948072022-11-27T09:05:45.575ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p><span>'मन घिरा है वासना में,और मर्यादा में तन'--- इस मिसरे की बह्र देखें I </span></p>
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<p><span>'अर छुपाना भी कठिन है,उबले जल की भाप को'--- इस मिसरे में "आर" क्या है ?</span></p>
<p></p>
<p>'शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को'--- इस मिसरे में 'नाप' का क्या अर्थ है ?</p>
<p>जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p><span>'मन घिरा है वासना में,और मर्यादा में तन'--- इस मिसरे की बह्र देखें I </span></p>
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<p><span>'अर छुपाना भी कठिन है,उबले जल की भाप को'--- इस मिसरे में "आर" क्या है ?</span></p>
<p></p>
<p>'शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को'--- इस मिसरे में 'नाप' का क्या अर्थ है ?</p>