Comments - कर्तव्य-बोध(लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T15:45:06Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1093257&xn_auth=noआपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्म…tag:openbooks.ning.com,2022-11-29:5170231:Comment:10948232022-11-29T04:31:46.710ZManan Kumar singhhttps://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
<p>आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानीजी।</p>
<p>आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानीजी।</p> आदाब। कथनी और.करनी में यही अं…tag:openbooks.ning.com,2022-11-29:5170231:Comment:10947342022-11-29T00:20:20.704ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। कथनी और.करनी में यही अंतर सभी समस्याओं की जड़ है। स्वयं की उपेक्षा और दूसरे से अपेक्षा। बढ़िया रचना हेतु हार्दिक बधाई जनाब मनन कुमार सिंह जी।</p>
<p>आदाब। कथनी और.करनी में यही अंतर सभी समस्याओं की जड़ है। स्वयं की उपेक्षा और दूसरे से अपेक्षा। बढ़िया रचना हेतु हार्दिक बधाई जनाब मनन कुमार सिंह जी।</p> आपका आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई…tag:openbooks.ning.com,2022-11-16:5170231:Comment:10938622022-11-16T13:09:32.115ZManan Kumar singhhttps://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
<p>आपका आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई जी।नमन।</p>
<p>आपका आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई जी।नमन।</p> आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2022-11-16:5170231:Comment:10935932022-11-16T12:58:11.206Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। अच्छी समसामयिक कथा हुई है। यह हम सब के व्यवहार का दर्पण भी है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। अच्छी समसामयिक कथा हुई है। यह हम सब के व्यवहार का दर्पण भी है। हार्दिक बधाई।</p>