Comments - दूर तम में बैठकर वो रोशनी अच्छी लगी- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-29T12:15:31Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1074611&xn_auth=noआ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2021-12-17:5170231:Comment:10749062021-12-17T15:14:36.075Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> बढ़िया कहा आदरणीय धामी जी...बध…tag:openbooks.ning.com,2021-12-17:5170231:Comment:10750642021-12-17T14:45:04.380Zबृजेश कुमार 'ब्रज'https://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>बढ़िया कहा आदरणीय धामी जी...बधाई</p>
<p>बढ़िया कहा आदरणीय धामी जी...बधाई</p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन ।…tag:openbooks.ning.com,2021-12-10:5170231:Comment:10748512021-12-10T17:17:22.915Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार। </p>
<p>त्रुटिपूर्ण मिसरे को इस प्रकार देखिएगा सादर-</p>
<p></p>
<p><span>आँख चुँधियाती रही जो पास था जब तक सनम</span></p>
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<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार। </p>
<p>त्रुटिपूर्ण मिसरे को इस प्रकार देखिएगा सादर-</p>
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<p><span>आँख चुँधियाती रही जो पास था जब तक सनम</span></p>
<p></p> जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' ज…tag:openbooks.ning.com,2021-12-10:5170231:Comment:10746042021-12-10T08:59:13.677ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'उस के अधरों ने कही जो शायरी अच्छी लगी'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'शायरी' को "शाइरी" लिखना उचित होगा ।</span></p>
<p><span>'आँख चुँधियाती रही जो पास में अपनी सनम'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'पास' शब्द के साथ 'में' का प्रयोग उचित नहीं होता,देखियेगा ।</span></p>
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<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'उस के अधरों ने कही जो शायरी अच्छी लगी'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'शायरी' को "शाइरी" लिखना उचित होगा ।</span></p>
<p><span>'आँख चुँधियाती रही जो पास में अपनी सनम'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'पास' शब्द के साथ 'में' का प्रयोग उचित नहीं होता,देखियेगा ।</span></p>
<p></p> आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2021-12-05:5170231:Comment:10746422021-12-05T17:24:21.181Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद.</p>
<p>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद.</p> हार्दिक बधाई आदरणीय मुसाफ़िर…tag:openbooks.ning.com,2021-12-05:5170231:Comment:10745372021-12-05T06:44:47.551ZTEJ VEER SINGHhttps://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मुसाफ़िर जी।बेहतरीन ग़ज़ल।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मुसाफ़िर जी।बेहतरीन ग़ज़ल।</p> आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभ…tag:openbooks.ning.com,2021-12-04:5170231:Comment:10746192021-12-04T13:37:03.078Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।</p>
<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।</p> जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़ि…tag:openbooks.ning.com,2021-12-04:5170231:Comment:10745312021-12-04T13:01:01.319Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।</p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।</p>