Comments - क्षणिकाएं (२०२१ -१ )- डॉo विजय शंकर - Open Books Online2024-03-29T00:43:53Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1070246&xn_auth=noआदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर ज…tag:openbooks.ning.com,2021-10-06:5170231:Comment:10705592021-10-06T03:27:43.674ZDr. Vijai Shankerhttps://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी , आपकी उपस्थिति एवं सराहना के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी , आपकी उपस्थिति एवं सराहना के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p> आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभि…tag:openbooks.ning.com,2021-10-03:5170231:Comment:10703792021-10-03T22:51:04.758Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन क्षणिकाएँ हुई हैं । हार्दिक बधाई । </p>
<p>आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन क्षणिकाएँ हुई हैं । हार्दिक बधाई । </p> आदरणीय सौरभ पांडे जी , आपकी स…tag:openbooks.ning.com,2021-10-03:5170231:Comment:10703782021-10-03T21:03:55.238ZDr. Vijai Shankerhttps://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय सौरभ पांडे जी , आपकी स्वीकृति और अलंकृत प्रतिक्रया ने रचना का मान बढ़ाया है , रचना सार्थक हुयी। आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p>
<p>आदरणीय सौरभ पांडे जी , आपकी स्वीकृति और अलंकृत प्रतिक्रया ने रचना का मान बढ़ाया है , रचना सार्थक हुयी। आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p> आदरणीय विजय निकोर जी , आपकी स…tag:openbooks.ning.com,2021-10-03:5170231:Comment:10704562021-10-03T21:00:03.953ZDr. Vijai Shankerhttps://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय विजय निकोर जी , आपकी स्वीकृति माने रखती है , रचना पर आपकी मुहर लग गई , रचना सफल हो गई, आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p>
<p>आदरणीय विजय निकोर जी , आपकी स्वीकृति माने रखती है , रचना पर आपकी मुहर लग गई , रचना सफल हो गई, आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p> तीन क्षणिकाएँ, तीनों की अंतरध…tag:openbooks.ning.com,2021-09-30:5170231:Comment:10700982021-09-30T16:44:53.428ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>तीन क्षणिकाएँ, तीनों की अंतरधारा तीव्र कि न जमे तो गये. </p>
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<p>सच कहा आपने, पैरों तले जमीन ही खिसक रही है. अब बकवास नहीं चलने वाली. हा हा हा.. </p>
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<p>आदरणीय विजय शंकर जी, आपकी सघन सोच कीससफलता पर हार्दिक बधाई.. </p>
<p>तीन क्षणिकाएँ, तीनों की अंतरधारा तीव्र कि न जमे तो गये. </p>
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<p>सच कहा आपने, पैरों तले जमीन ही खिसक रही है. अब बकवास नहीं चलने वाली. हा हा हा.. </p>
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<p>आदरणीय विजय शंकर जी, आपकी सघन सोच कीससफलता पर हार्दिक बधाई.. </p> प्रिय मित्र, हरि ॐ
गज़ब की क्ष…tag:openbooks.ning.com,2021-09-30:5170231:Comment:10703022021-09-30T07:24:25.220Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>प्रिय मित्र, हरि ॐ</p>
<p>गज़ब की क्षणिकाएँ लिखी है</p>
<p>बधाई</p>
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<p>प्रिय मित्र, हरि ॐ</p>
<p>गज़ब की क्षणिकाएँ लिखी है</p>
<p>बधाई</p>
<p></p> आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, रचना…tag:openbooks.ning.com,2021-09-30:5170231:Comment:10700722021-09-30T00:27:59.052ZDr. Vijai Shankerhttps://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, रचना पर आपकी दृष्टि का स्वागत है। उत्साह वर्धन के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p>
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, रचना पर आपकी दृष्टि का स्वागत है। उत्साह वर्धन के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p> जनाब डॉ० विजय शंकर जी आदाब ,…tag:openbooks.ning.com,2021-09-29:5170231:Comment:10700622021-09-29T11:44:12.726Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब डॉ० विजय शंकर जी आदाब , बहुत अच्छी क्षणिकाएँ हुई हैं, बधाई स्वीकार करें I सादर। </p>
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<p>जनाब डॉ० विजय शंकर जी आदाब , बहुत अच्छी क्षणिकाएँ हुई हैं, बधाई स्वीकार करें I सादर। </p>
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<p></p> आदरणीय दण्ड पाणिक नाहक़ जी नम…tag:openbooks.ning.com,2021-09-29:5170231:Comment:10699962021-09-29T11:41:07.643ZDr. Vijai Shankerhttps://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय दण्ड पाणिक नाहक़ जी नमस्कार , रचना पर आपकी उपस्थिति एवं रचना को स्वीकृति प्रदान करने के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद ! सादर।</p>
<p>आदरणीय दण्ड पाणिक नाहक़ जी नमस्कार , रचना पर आपकी उपस्थिति एवं रचना को स्वीकृति प्रदान करने के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद ! सादर।</p> आदरणीय समर कबीर साहब,नमस्कार…tag:openbooks.ning.com,2021-09-29:5170231:Comment:10701872021-09-29T11:38:21.560ZDr. Vijai Shankerhttps://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय समर कबीर साहब,नमस्कार , मैं आजकल यू एस ए में हूँ। रचना पर आपकी उपस्थिति एवं रचना को स्वीकृति प्रदान करने के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद ! सादर।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब,नमस्कार , मैं आजकल यू एस ए में हूँ। रचना पर आपकी उपस्थिति एवं रचना को स्वीकृति प्रदान करने के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद ! सादर।</p>