Comments - कैसे सबका मोल चुकाऊँ? - Open Books Online2024-03-29T15:42:46Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1067419&xn_auth=noआदरणीय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसा…tag:openbooks.ning.com,2021-09-05:5170231:Comment:10675012021-09-05T13:47:43.609ZDharmendra Kumar Yadavhttps://openbooks.ning.com/profile/DharmendraKumarYadav
<p><span>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी। रचना को पसंद करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।</span></p>
<p><span>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी। रचना को पसंद करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।</span></p> आ. भाई धर्मेंन्द्र जी, सादर अ…tag:openbooks.ning.com,2021-09-05:5170231:Comment:10675952021-09-05T07:53:09.107Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई धर्मेंन्द्र जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई धर्मेंन्द्र जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई।</p> आदरणीय समर कबीर जी, प्रणाम। आ…tag:openbooks.ning.com,2021-08-31:5170231:Comment:10676412021-08-31T11:51:12.599ZDharmendra Kumar Yadavhttps://openbooks.ning.com/profile/DharmendraKumarYadav
<p>आदरणीय समर कबीर जी, प्रणाम। आपकी ‘पवन’ शब्द के बारे में टिप्पणी बिल्कुल सही है। अपने मन में मातॄ-भूमि के प्रति उपजे भाव की काव्यात्मक प्रस्तुति में आ रही बाधा को दूर करने हेतु ‘पवन’ के साथ ‘सुहानी’ विशेषण का प्रयोग मैंने उपरोक्त तथ्य की जानकारी के बावजूद किया है। यद्यपि पूर्व में भी कई जाने-माने कवि/गीतकार अपने भावों को व्यक्त करने के लिए ‘पवन’ या अन्य शब्दों के साथ जाने-अनजाने यह गलती कर चुके हैं। परंतु, अंततः यह एक दोष है जिसे मैं स्वीकार करता हूँ। सादर।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी, प्रणाम। आपकी ‘पवन’ शब्द के बारे में टिप्पणी बिल्कुल सही है। अपने मन में मातॄ-भूमि के प्रति उपजे भाव की काव्यात्मक प्रस्तुति में आ रही बाधा को दूर करने हेतु ‘पवन’ के साथ ‘सुहानी’ विशेषण का प्रयोग मैंने उपरोक्त तथ्य की जानकारी के बावजूद किया है। यद्यपि पूर्व में भी कई जाने-माने कवि/गीतकार अपने भावों को व्यक्त करने के लिए ‘पवन’ या अन्य शब्दों के साथ जाने-अनजाने यह गलती कर चुके हैं। परंतु, अंततः यह एक दोष है जिसे मैं स्वीकार करता हूँ। सादर।</p> जनाब धर्मेन्द्र कुमार यादव जी…tag:openbooks.ning.com,2021-08-31:5170231:Comment:10676372021-08-31T09:32:04.184ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब धर्मेन्द्र कुमार यादव जी आदाब,अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'प्राणवायु यह पवन सुहानी'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'पवन' शब्द पुल्लिंग है, देखियेगा ।</span></p>
<p>जनाब धर्मेन्द्र कुमार यादव जी आदाब,अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'प्राणवायु यह पवन सुहानी'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'पवन' शब्द पुल्लिंग है, देखियेगा ।</span></p>