Comments - करके दिखाया देश में किसने कहा हुआ -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-28T19:58:50Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1063680&xn_auth=noआ. भाई समर जी, सादर अभिवादन ।…tag:openbooks.ning.com,2021-07-17:5170231:Comment:10637932021-07-17T12:43:29.364Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति , सराहना और गलती की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार...</p>
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति , सराहना और गलती की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार...</p> जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' ज…tag:openbooks.ning.com,2021-07-17:5170231:Comment:10638622021-07-17T10:12:39.335ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'है रक्त बेबशों का भी इन में लगा हुआ'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'बेबशों' को "बेबसों" कर लें ।</span></p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'है रक्त बेबशों का भी इन में लगा हुआ'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'बेबशों' को "बेबसों" कर लें ।</span></p> आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभ…tag:openbooks.ning.com,2021-07-15:5170231:Comment:10639202021-07-15T00:54:31.275Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति सराहना और सुझाव के लिए धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति सराहना और सुझाव के लिए धन्यवाद।</p> जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़ि…tag:openbooks.ning.com,2021-07-11:5170231:Comment:10636022021-07-11T10:05:22.167Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।</p>
<p>'कारण से इनके नित्य ही शासन बुरा हुआ।६।' इस मिसरे को यूँ कहना उचित होगा - </p>
<p>"कारण सदा इन्हीं के ही शासन बुरा हुआ" दूसरे शे'र में 'बेबशों' को बेबसों कर लें। सादर। </p>
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<p>जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।</p>
<p>'कारण से इनके नित्य ही शासन बुरा हुआ।६।' इस मिसरे को यूँ कहना उचित होगा - </p>
<p>"कारण सदा इन्हीं के ही शासन बुरा हुआ" दूसरे शे'र में 'बेबशों' को बेबसों कर लें। सादर। </p>
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