Comments - स्वयं को आजमाने को तू खुलकर आ जमाने में - Open Books Online2024-03-29T12:14:09Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1063023&xn_auth=noजनाब आशीष यादव जी आदाब, प्रय…tag:openbooks.ning.com,2021-07-06:5170231:Comment:10634502021-07-06T13:22:22.062ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब आशीष यादव जी आदाब, प्रयास अच्छा है लेकिन रचना अभी समय चाहती है ।</p>
<p>इन पंक्तियों पर विचार करें:-</p>
<p></p>
<p>'किनारे कुछ न पाओगे<br/>मिलेगा डूब जाने में</p>
<p></p>
<p></p>
<p>तुम्हारे सामने दुनिया<br/>सुनो रणभूमि जैसी है'</p>
<p>पूरी रचना एक वचन में है,और ये पंक्तियाँ बहुवचन में ।</p>
<p>जनाब आशीष यादव जी आदाब, प्रयास अच्छा है लेकिन रचना अभी समय चाहती है ।</p>
<p>इन पंक्तियों पर विचार करें:-</p>
<p></p>
<p>'किनारे कुछ न पाओगे<br/>मिलेगा डूब जाने में</p>
<p></p>
<p></p>
<p>तुम्हारे सामने दुनिया<br/>सुनो रणभूमि जैसी है'</p>
<p>पूरी रचना एक वचन में है,और ये पंक्तियाँ बहुवचन में ।</p> खूबसूरत रचना के लिए बहुत बहुत…tag:openbooks.ning.com,2021-07-04:5170231:Comment:10632182021-07-04T06:02:47.903Zबृजेश कुमार 'ब्रज'https://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>खूबसूरत रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय यादव जी...</p>
<p>खूबसूरत रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय यादव जी...</p> जनाब आशीष यादव जी आदाब,बहुत उ…tag:openbooks.ning.com,2021-07-02:5170231:Comment:10629452021-07-02T03:33:08.749Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब आशीष यादव जी आदाब,बहुत उम्दा गीत हुआ है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।</p>
<p>जनाब आशीष यादव जी आदाब,बहुत उम्दा गीत हुआ है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।</p> आ. भाई आशीष जी, सुंदर गीत हुआ…tag:openbooks.ning.com,2021-07-01:5170231:Comment:10629432021-07-01T18:10:38.685Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई आशीष जी, सुंदर गीत हुआ है । हार्दिक बधाई...</p>
<p>आ. भाई आशीष जी, सुंदर गीत हुआ है । हार्दिक बधाई...</p>