Comments - दम नहीं रहा मेरे यार मे.....( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर) - Open Books Online2024-03-28T19:59:25Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1061692&xn_auth=noवाह बहुतख़ूब आदरणीय...इस मापनी…tag:openbooks.ning.com,2021-07-04:5170231:Comment:10629582021-07-04T06:04:36.429Zबृजेश कुमार 'ब्रज'https://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>वाह बहुतख़ूब आदरणीय...इस मापनी पे पहली ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..सादर</p>
<p>वाह बहुतख़ूब आदरणीय...इस मापनी पे पहली ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..सादर</p> आदरणीय Samar kabeer साहिब आदा…tag:openbooks.ning.com,2021-06-21:5170231:Comment:10618432021-06-21T13:24:54.692Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer" class="fn url">Samar kabeer</a> साहिब <br/>आदाब <br/><span>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए </span>तह-ए -दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.</p>
<p>आदरणीय<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer" class="fn url">Samar kabeer</a> साहिब <br/>आदाब <br/><span>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए </span>तह-ए -दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.</p> जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2021-06-21:5170231:Comment:10617642021-06-21T13:04:15.648ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p> प्रिय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफ…tag:openbooks.ning.com,2021-06-21:5170231:Comment:10618362021-06-21T04:05:27.116Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>प्रिय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए आपको धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।</p>
<p>प्रिय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए आपको धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।</p> आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अ…tag:openbooks.ning.com,2021-06-21:5170231:Comment:10616982021-06-21T03:27:47.809Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।</p> *मतले का सानी मिसरा यूँ पढ़ा ज…tag:openbooks.ning.com,2021-06-21:5170231:Comment:10618342021-06-21T02:44:12.276Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>*मतले का सानी मिसरा यूँ पढ़ा जाए..</p>
<p>क्या रखा है फिर जीत-हार में</p>
<p>सातवाँ शैर..</p>
<p>धूप में मुझे पूछने लगे</p>
<p>प्यास क्यों लगी रेग-ज़ार में</p>
<p>*मतले का सानी मिसरा यूँ पढ़ा जाए..</p>
<p>क्या रखा है फिर जीत-हार में</p>
<p>सातवाँ शैर..</p>
<p>धूप में मुझे पूछने लगे</p>
<p>प्यास क्यों लगी रेग-ज़ार में</p>