Comments - सत्तर बरस में बचपना इसका गया नहीं-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-28T11:05:17Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1061658&xn_auth=noजी, ठीक है..tag:openbooks.ning.com,2021-07-04:5170231:Comment:10629622021-07-04T12:40:24.187Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>जी, ठीक है..</p>
<p>जी, ठीक है..</p> 'फिर भी ये नेता आज का दानी मे…tag:openbooks.ning.com,2021-06-22:5170231:Comment:10619262021-06-22T10:42:52.538ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p><span>'फिर भी ये नेता आज का दानी में आयेगा'</span><br/><span>(पर कर्ण जैसा नाम तो दानी में आयेगा)//</span></p>
<p><span>इसे छोड़कर बाक़ी बदलाव ठीक हैं, 'दानी' क़ाफ़िया रदीफ़ से मेल नहीं खायेगा,इस शैर को हटाना उचित होगा ।</span></p>
<p><span>'फिर भी ये नेता आज का दानी में आयेगा'</span><br/><span>(पर कर्ण जैसा नाम तो दानी में आयेगा)//</span></p>
<p><span>इसे छोड़कर बाक़ी बदलाव ठीक हैं, 'दानी' क़ाफ़िया रदीफ़ से मेल नहीं खायेगा,इस शैर को हटाना उचित होगा ।</span></p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2021-06-22:5170231:Comment:10617762021-06-22T07:09:03.437Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, सराहना व मार्गदर्शन के लिए आभार । इंगित मिसरों को बदलने का प्रयास किया है । देखियेगा...<br></br>//रस्ता सफर का तुमको दिया है बुहार कर<br></br>रोड़ा न अब के कोई रवानी में आयेगा'//<br></br>//<br></br>सोने की चिड़िया फिर से यही देश होगा यूँ<br></br>स्वर्णिम कभी जो दौर किसानी में आयेगा'//</p>
<p>//'राजा हमारा और भी हैरान होगा तब<br></br>जब सत्य खुल के उसका बयानी आयेगा</p>
<p>//</p>
<p>'फिर भी ये नेता आज का दानी में आयेगा'<br></br>(पर कर्ण जैसा नाम तो दानी में आयेगा)<br></br>आपको…</p>
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, सराहना व मार्गदर्शन के लिए आभार । इंगित मिसरों को बदलने का प्रयास किया है । देखियेगा...<br/>//रस्ता सफर का तुमको दिया है बुहार कर<br/>रोड़ा न अब के कोई रवानी में आयेगा'//<br/>//<br/>सोने की चिड़िया फिर से यही देश होगा यूँ<br/>स्वर्णिम कभी जो दौर किसानी में आयेगा'//</p>
<p>//'राजा हमारा और भी हैरान होगा तब<br/>जब सत्य खुल के उसका बयानी आयेगा</p>
<p>//</p>
<p>'फिर भी ये नेता आज का दानी में आयेगा'<br/>(पर कर्ण जैसा नाम तो दानी में आयेगा)<br/>आपको इस कर कोई बेहतर सूझे तो मार्गदर्शन करें।सादर..</p> जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' ज…tag:openbooks.ning.com,2021-06-21:5170231:Comment:10617622021-06-21T12:53:54.840ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'तुमको सफर मिला भी तो रस्ता बुहार के</span><br></br><span>रोड़ा न अब के कोई रवानी में आयेगा'</span></p>
<p>इस शैर के ऊला का वाक्य विन्यास ठीक नहीं,दुरुस्त करने का प्रयास करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'सोने की चिड़िया फिर से कहायेगा देश ये</span><br></br><span>जब दौर सुनहरा सा किसानी में आयेगा'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला में 'कहायेगा' शब्द उचित नहीं,और सानी मिसरे में 'सुनहरा' शब्द का वज़्न…</span></p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'तुमको सफर मिला भी तो रस्ता बुहार के</span><br/><span>रोड़ा न अब के कोई रवानी में आयेगा'</span></p>
<p>इस शैर के ऊला का वाक्य विन्यास ठीक नहीं,दुरुस्त करने का प्रयास करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'सोने की चिड़िया फिर से कहायेगा देश ये</span><br/><span>जब दौर सुनहरा सा किसानी में आयेगा'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला में 'कहायेगा' शब्द उचित नहीं,और सानी मिसरे में 'सुनहरा' शब्द का वज़्न 122 है,देखियेगा ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'राजा हमारा सुन के हैरानी में आयेगा'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'हैरानी' शब्द में 'है' की मात्रा गिराना उचित नहीं है,देखियेगा ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'फिर भी ये नेता आज का दानी में आयेगा'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'दानी में आयेगा' वाक्य विन्यास उचित नहीं,ग़ौर करें ।</span></p>