Comments - मातृ दिवस पर ताजातरीन गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-28T17:05:57Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1059752&xn_auth=noआ. भाई ब्रिजेश जी, सादर अभिवा…tag:openbooks.ning.com,2021-05-20:5170231:Comment:10599932021-05-20T03:37:42.933Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई ब्रिजेश जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई ब्रिजेश जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> बहुत ही खूब ग़ज़ल कही आदरणीय धा…tag:openbooks.ning.com,2021-05-19:5170231:Comment:10599872021-05-19T12:08:41.399Zबृजेश कुमार 'ब्रज'https://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत ही खूब ग़ज़ल कही आदरणीय धामी जी...बधाई</p>
<p>बहुत ही खूब ग़ज़ल कही आदरणीय धामी जी...बधाई</p> आ. भाई आज़ी तमाम जी, अभिवादन ।…tag:openbooks.ning.com,2021-05-16:5170231:Comment:10601122021-05-16T07:05:01.926Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई आज़ी तमाम जी, अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई आज़ी तमाम जी, अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए धन्यवाद।</p> आ. भाई शून्य आकाशी जी, सादर अ…tag:openbooks.ning.com,2021-05-16:5170231:Comment:10599672021-05-16T07:03:55.870Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई शून्य आकाशी जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई शून्य आकाशी जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए धन्यवाद।</p> खूबसूरत ग़ज़ल के लिए सहृदय शु…tag:openbooks.ning.com,2021-05-15:5170231:Comment:10599062021-05-15T10:29:27.846ZAazi Tamaamhttps://openbooks.ning.com/profile/AaziTamaa
<p>खूबसूरत ग़ज़ल के लिए सहृदय शुक्रिया आ धामी सर</p>
<p>बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है माँ पर</p>
<p>खूबसूरत ग़ज़ल के लिए सहृदय शुक्रिया आ धामी सर</p>
<p>बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है माँ पर</p> माँ पर लिखी गई एक बेहतरीन ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2021-05-15:5170231:Comment:10600622021-05-15T08:50:22.458ZC.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"https://openbooks.ning.com/profile/CMUpadhyayShoonyaAkankshi
<p><strong>माँ पर लिखी गई एक बेहतरीन ग़ज़ल | बधाई स्वीकारें <a href="http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर</a> जी | </strong></p>
<p><strong>माँ पर लिखी गई एक बेहतरीन ग़ज़ल | बधाई स्वीकारें <a href="http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर</a> जी | </strong></p> आ. भाई विनय जी, अभिवादन। गजल…tag:openbooks.ning.com,2021-05-12:5170231:Comment:10597772021-05-12T09:11:03.013Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई विनय जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई विनय जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए धन्यवाद।</p> बेहद खूबसूरत और बेहतरीन गजल,…tag:openbooks.ning.com,2021-05-12:5170231:Comment:10598832021-05-12T05:45:00.446Zविनय कुमारhttps://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बेहद खूबसूरत और बेहतरीन गजल, माँ के लिए जो लिखा जाए वह कम है. बहुत बहुत बधाई आ लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहब</p>
<p>बेहद खूबसूरत और बेहतरीन गजल, माँ के लिए जो लिखा जाए वह कम है. बहुत बहुत बधाई आ लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहब</p> आ. भाई गुरप्रीत जी, सादर अभिव…tag:openbooks.ning.com,2021-05-12:5170231:Comment:10598812021-05-12T01:30:38.813Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई गुरप्रीत जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित, सराहना व सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद। </p>
<p></p>
<p>आला-स्टेथोस्कोप</p>
<p>डाला-बाँस का बड़ा टोकरा।</p>
<p>मतले के उला में जिसने की जगह "अपनी" पढ़े। सादर...</p>
<p>आ. भाई गुरप्रीत जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित, सराहना व सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद। </p>
<p></p>
<p>आला-स्टेथोस्कोप</p>
<p>डाला-बाँस का बड़ा टोकरा।</p>
<p>मतले के उला में जिसने की जगह "अपनी" पढ़े। सादर...</p> वाह वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी…tag:openbooks.ning.com,2021-05-11:5170231:Comment:10600452021-05-11T15:31:33.880ZGurpreet Singh jammuhttps://openbooks.ning.com/profile/GurpreetSingh624
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<li style="text-align: center;">वाह वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । मात्र दिवस पर मां को समर्पित बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही आप ने । बहुत ही अच्छे भाव गजल में आपने । गजल वाकई दिल से निकली हुई महसूस हो रही है । बहुत बहुत मुबारकबाद । चौथे शेर में आला और आखिरी शेर में डाला काफियों का अर्थ बताने की कृपा करें जी । एक बात जो मन में आ रही है की मतले के ऊला में `जिसने` शब्द अगर लिया गया है तो सानी में उसका ज़िक्र भी होना चाहिए । या फिर ऊला से `जिसने` हटा कर उसकी जगह कुछ और जैसे `माँ ने` लिखना शायद…</li>
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<li style="text-align: center;">वाह वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । मात्र दिवस पर मां को समर्पित बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही आप ने । बहुत ही अच्छे भाव गजल में आपने । गजल वाकई दिल से निकली हुई महसूस हो रही है । बहुत बहुत मुबारकबाद । चौथे शेर में आला और आखिरी शेर में डाला काफियों का अर्थ बताने की कृपा करें जी । एक बात जो मन में आ रही है की मतले के ऊला में `जिसने` शब्द अगर लिया गया है तो सानी में उसका ज़िक्र भी होना चाहिए । या फिर ऊला से `जिसने` हटा कर उसकी जगह कुछ और जैसे `माँ ने` लिखना शायद ज्यादा ठीक रहेगा । धन्यवाद</li>
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