Comments - मन पर दोहे ........... - Open Books Online2024-03-29T06:16:55Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1058287&xn_auth=noसृजन के भावों को मान देने का…tag:openbooks.ning.com,2021-04-20:5170231:Comment:10591262021-04-20T14:00:41.862ZSushil Sarnahttps://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी ।बहुत सुंदर सुझाव । हार्दिक आभार सर । संशोधन बनता है सर ।
सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी ।बहुत सुंदर सुझाव । हार्दिक आभार सर । संशोधन बनता है सर । आदरणीय सादर नमस्कार, उत्तम दो…tag:openbooks.ning.com,2021-04-20:5170231:Comment:10592212021-04-20T04:52:13.349Zबसंत कुमार शर्माhttps://openbooks.ning.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p><span>आदरणीय सादर नमस्कार, उत्तम दोहे हुए हैं आपके, बधाई </span></p>
<p><span>एक दोहे में लय भंग हो रही है, यदि उचित लगे तो यों कर सकते हैं </span></p>
<p></p>
<p><span>केसे मन का हो भला , बुझे न मन की प्यास ।4।</span></p>
<p><span>आदरणीय सादर नमस्कार, उत्तम दोहे हुए हैं आपके, बधाई </span></p>
<p><span>एक दोहे में लय भंग हो रही है, यदि उचित लगे तो यों कर सकते हैं </span></p>
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<p><span>केसे मन का हो भला , बुझे न मन की प्यास ।4।</span></p> आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब…tag:openbooks.ning.com,2021-04-13:5170231:Comment:10585582021-04-13T14:35:17.271ZSushil Sarnahttps://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - - - सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है ।
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - - - सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है । आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन क…tag:openbooks.ning.com,2021-04-13:5170231:Comment:10585562021-04-13T14:33:42.395ZSushil Sarnahttps://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । आप सही ✅ हैं सर । मैं अभी संशोधित कर पुनः प्रेषित करता हूँ ।हार्दिक आभार सर ।
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । आप सही ✅ हैं सर । मैं अभी संशोधित कर पुनः प्रेषित करता हूँ ।हार्दिक आभार सर । जनाब सुशील सरना जी आदाब, मन प…tag:openbooks.ning.com,2021-04-13:5170231:Comment:10584762021-04-13T13:19:16.457Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, मन पर अच्छे दोहे हुए हैं, बधाई स्वीकार करें। </p>
<p>हालांकि मैं इस विधा का जानकार नहीं हूँ, पर मुझे दूसरे दोहे में लय बाधित लग रही है, हो सकता है मैं ग़लत हूँ। सादर। </p>
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, मन पर अच्छे दोहे हुए हैं, बधाई स्वीकार करें। </p>
<p>हालांकि मैं इस विधा का जानकार नहीं हूँ, पर मुझे दूसरे दोहे में लय बाधित लग रही है, हो सकता है मैं ग़लत हूँ। सादर। </p> आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2021-04-13:5170231:Comment:10586072021-04-13T13:04:17.089Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवाद । मन के दोहे अच्छे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>पाँचवे दोहे की तुकांतता मेरे हिसाब से ठीक नहीं है । देखिएगा। सादर..</p>
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवाद । मन के दोहे अच्छे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>पाँचवे दोहे की तुकांतता मेरे हिसाब से ठीक नहीं है । देखिएगा। सादर..</p>