Comments - ग़ज़ल-कूचे में बेवफ़ा के - Open Books Online2024-03-28T19:58:39Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1056482&xn_auth=noआदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी नम…tag:openbooks.ning.com,2021-03-16:5170231:Comment:10566592021-03-16T11:59:15.385ZRachna Bhatiahttps://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी नमस्कार। हौसला बढ़ाने के लिए आभार।</p>
<p>आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी नमस्कार। हौसला बढ़ाने के लिए आभार।</p> आदरणीय कृष मिश्रा जी हौसला बढ…tag:openbooks.ning.com,2021-03-16:5170231:Comment:10569132021-03-16T11:58:47.999ZRachna Bhatiahttps://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय कृष मिश्रा जी हौसला बढ़ाने के लिए आभार।</p>
<p>आदरणीय कृष मिश्रा जी हौसला बढ़ाने के लिए आभार।</p> वाह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही आ…tag:openbooks.ning.com,2021-03-16:5170231:Comment:10567412021-03-16T10:37:05.060Zबृजेश कुमार 'ब्रज'https://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>वाह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही आदरणीया...बधाई</p>
<p>वाह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही आदरणीया...बधाई</p> अच्छी ग़ज़ल हुई है आ. रचना जी ह…tag:openbooks.ning.com,2021-03-12:5170231:Comment:10565692021-03-12T06:38:50.373ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttps://openbooks.ning.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है आ. रचना जी हार्दिक बधाई</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है आ. रचना जी हार्दिक बधाई</p> आदरणीय सर् नमस्कार। जी सर्
इस…tag:openbooks.ning.com,2021-03-11:5170231:Comment:10563912021-03-11T07:14:15.612ZRachna Bhatiahttps://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय सर् नमस्कार। जी सर्</p>
<p>इस्लाहके लिए आपकी आभारी हूँ। सादर।</p>
<p>आदरणीय सर् नमस्कार। जी सर्</p>
<p>इस्लाहके लिए आपकी आभारी हूँ। सादर।</p> //शुआ'अ" हटाकर क्या "किरण" लि…tag:openbooks.ning.com,2021-03-11:5170231:Comment:10564932021-03-11T06:47:05.566ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p><span>//शुआ'अ" हटाकर क्या "किरण" लिख दूँ//</span></p>
<p><span>'किरण' ठीक रहेगा ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'जो दूर जा बसा है मेरी धड़कनें चुरा के'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कर लें:-</span></p>
<p><span>'बैठा है दूर दिल की जो धड़कनें चुरा के'</span></p>
<p><span>//शुआ'अ" हटाकर क्या "किरण" लिख दूँ//</span></p>
<p><span>'किरण' ठीक रहेगा ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'जो दूर जा बसा है मेरी धड़कनें चुरा के'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कर लें:-</span></p>
<p><span>'बैठा है दूर दिल की जो धड़कनें चुरा के'</span></p> आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'जी नमस…tag:openbooks.ning.com,2021-03-11:5170231:Comment:10565542021-03-11T06:06:46.472ZRachna Bhatiahttps://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'जी नमस्कार।जी सहीह कहा आपने।सर् से 'है' हटाने के लिए पूछा है।सर् की राय का इंतज़ार है। सादर।</p>
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'जी नमस्कार।जी सहीह कहा आपने।सर् से 'है' हटाने के लिए पूछा है।सर् की राय का इंतज़ार है। सादर।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर'…tag:openbooks.ning.com,2021-03-11:5170231:Comment:10563882021-03-11T06:05:19.763ZRachna Bhatiahttps://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर'भाई नमस्कार। भाई हौसला बढ़ाने के लिए आभार।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर'भाई नमस्कार। भाई हौसला बढ़ाने के लिए आभार।</p> आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्…tag:openbooks.ning.com,2021-03-11:5170231:Comment:10565522021-03-11T06:04:54.627ZRachna Bhatiahttps://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने के लिए आपकी तहेदिल से आभारी हूँ।</p>
<p>सर् बहुत ख़ूब सानी कर दिया आपने। फेयर में सुधार कर लेती हूँ।</p>
<p>सर्, संज्ञान के लिए आपकी आभारी हूँ।सर् "शुआ'अ" हटाकर क्या "किरण" लिख दूँ ।</p>
<p></p>
<p></p>
<p>'जो दूर जा बसा है मेरी धड़कनें चुरा के'</p>
<p>जी सर् ग़लती हो गई।क्षमा चाहती हूँ सर् है हटाने से ठीक हो जाएगा क्या।</p>
<p>सादर।</p>
<p>ये मिसरा बह्र से ख़ारिज है,देखियेगा ।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने के लिए आपकी तहेदिल से आभारी हूँ।</p>
<p>सर् बहुत ख़ूब सानी कर दिया आपने। फेयर में सुधार कर लेती हूँ।</p>
<p>सर्, संज्ञान के लिए आपकी आभारी हूँ।सर् "शुआ'अ" हटाकर क्या "किरण" लिख दूँ ।</p>
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<p>'जो दूर जा बसा है मेरी धड़कनें चुरा के'</p>
<p>जी सर् ग़लती हो गई।क्षमा चाहती हूँ सर् है हटाने से ठीक हो जाएगा क्या।</p>
<p>सादर।</p>
<p>ये मिसरा बह्र से ख़ारिज है,देखियेगा ।</p> मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2021-03-10:5170231:Comment:10565492021-03-10T16:12:16.675Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>ग़ज़ल का आख़िरी मिसरा बह्र में नहीं है। सादर। </p>
<p></p>
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<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>ग़ज़ल का आख़िरी मिसरा बह्र में नहीं है। सादर। </p>
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