Comments - हम तो हल के दास ओ राजा-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-29T04:59:32Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1043713&xn_auth=noआ. भाई राम आशरे जी, सादर अभिव…tag:openbooks.ning.com,2021-05-20:5170231:Comment:10599942021-05-20T07:53:27.679Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p><span>आ. भाई राम आशरे जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।"</span></p>
<p><span>आ. भाई राम आशरे जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।"</span></p> अति सुंदर अभिव्यक्ति बहुत बहु…tag:openbooks.ning.com,2021-05-20:5170231:Comment:10600952021-05-20T06:10:52.810ZRam Asheryhttps://openbooks.ning.com/profile/RamAshery918
अति सुंदर अभिव्यक्ति बहुत बहुत बधाई स्वीकार हो
अति सुंदर अभिव्यक्ति बहुत बहुत बधाई स्वीकार हो आ. अमिता जी, गजल पर उपस्थिति…tag:openbooks.ning.com,2021-05-06:5170231:Comment:10598452021-05-06T06:12:28.203Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. अमिता जी, गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार ।</p>
<p>आ. अमिता जी, गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार ।</p> पीता हर उम्मीद हमारीकैसी त…tag:openbooks.ning.com,2021-05-05:5170231:Comment:10597402021-05-05T20:14:23.948Zamita tiwarihttps://openbooks.ning.com/profile/amitatiwari
<p><span>पीता हर उम्मीद हमारी</span><br/><span>कैसी तेरी प्यास ओ राजा</span></p>
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<p>बहुत उत्तम ,बहुत सटीक गागर मे सागर । वाह बधाई </p>
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<p><span>पीता हर उम्मीद हमारी</span><br/><span>कैसी तेरी प्यास ओ राजा</span></p>
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<p>बहुत उत्तम ,बहुत सटीक गागर मे सागर । वाह बधाई </p>
<p></p> आ. भाई विजय निकोर जी , सादर अ…tag:openbooks.ning.com,2021-02-13:5170231:Comment:10495332021-02-13T12:10:22.113Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई विजय निकोर जी , सादर अभिवादन। आपकी मनभावन उपस्गथिति से लेखन सफल हुइ। गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।</p>
<p>आ. भाई विजय निकोर जी , सादर अभिवादन। आपकी मनभावन उपस्गथिति से लेखन सफल हुइ। गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।</p> आ. रचना बहन , सादर अभिवादन। ग…tag:openbooks.ning.com,2021-02-13:5170231:Comment:10494712021-02-13T12:08:34.782Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. रचना बहन , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।</p>
<p>आ. रचना बहन , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।</p> प्रिय मित्र लक्ष्मण जी, गज़ल अ…tag:openbooks.ning.com,2021-02-13:5170231:Comment:10493952021-02-13T11:24:11.476Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>प्रिय मित्र लक्ष्मण जी, गज़ल अच्छी लगी। बधाई।</p>
<p>प्रिय मित्र लक्ष्मण जी, गज़ल अच्छी लगी। बधाई।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर'…tag:openbooks.ning.com,2021-02-13:5170231:Comment:10493442021-02-13T05:19:57.170ZRachna Bhatiahttps://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर'जी नमस्कार। शानदार ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर'जी नमस्कार। शानदार ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।</p> आ. भाई क्रिस मिश्रा जी, गजल प…tag:openbooks.ning.com,2021-02-12:5170231:Comment:10490322021-02-12T13:31:11.218Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई क्रिस मिश्रा जी, गजल पर उपस्थिति व मनभावन टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार ।</p>
<p>आ. भाई क्रिस मिश्रा जी, गजल पर उपस्थिति व मनभावन टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार ।</p> वाह! अद्भुत ग़ज़ल हुई है बेहतरी…tag:openbooks.ning.com,2021-02-11:5170231:Comment:10482002021-02-11T15:41:50.104ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttps://openbooks.ning.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>वाह! अद्भुत ग़ज़ल हुई है बेहतरीन, लाज़वाब।बहुत बहुत बधाई बड़े भैया।</p>
<p>इस ग़ज़ल की सबसे प्यारी बात मुझे ये लगी कि... ऐसा लगता है जैसे स्वत: अंतर्मन के भाव फूट पड़ें हो, कोई भी ऊपरी बनावट नहीं की गई है।पुनः बधाई और शुभकामनाएं बड़े भैया।</p>
<p>वाह! अद्भुत ग़ज़ल हुई है बेहतरीन, लाज़वाब।बहुत बहुत बधाई बड़े भैया।</p>
<p>इस ग़ज़ल की सबसे प्यारी बात मुझे ये लगी कि... ऐसा लगता है जैसे स्वत: अंतर्मन के भाव फूट पड़ें हो, कोई भी ऊपरी बनावट नहीं की गई है।पुनः बधाई और शुभकामनाएं बड़े भैया।</p>