Comments - नग़्मा (आप यूँ ही अगर हमसे रूठे रहे) - Open Books Online2024-03-19T07:25:31Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1012807&xn_auth=noआदरणीय सर्वश्री लक्ष्मण धामी…tag:openbooks.ning.com,2020-07-30:5170231:Comment:10139502020-07-30T15:23:49.639Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय सर्वश्री लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, रवि भसीन शाहिद जी और सालिक गणवीर जी आदाब, आप सभी की ज़र्रा-नवाज़ी का दिल की गहराईयों से शुक्रगुजा़र हूँ। सादर। </p>
<p>आदरणीय सर्वश्री लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, रवि भसीन शाहिद जी और सालिक गणवीर जी आदाब, आप सभी की ज़र्रा-नवाज़ी का दिल की गहराईयों से शुक्रगुजा़र हूँ। सादर। </p> आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर'साहिब…tag:openbooks.ning.com,2020-07-30:5170231:Comment:10138542020-07-30T05:00:15.286Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर'साहिब<br/>आदाब</p>
<p>खूबसूरत नग्मा हम तक पँहुचाने के लिए आपका हार्दिक आभार और आपको तह-ए-दिल से</p>
<p>दाद और मुबारकबाद पेश करता हूँ, आदरणीय.</p>
<p>आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर'साहिब<br/>आदाब</p>
<p>खूबसूरत नग्मा हम तक पँहुचाने के लिए आपका हार्दिक आभार और आपको तह-ए-दिल से</p>
<p>दाद और मुबारकबाद पेश करता हूँ, आदरणीय.</p> आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' साहि…tag:openbooks.ning.com,2020-07-30:5170231:Comment:10138492020-07-30T04:22:42.079Zरवि भसीन 'शाहिद'https://openbooks.ning.com/profile/RaviBhasin
<p><span>आदरणीय </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz" class="fn url">अमीरुद्दीन 'अमीर'</a><span> साहिब, आपको इस ख़ूबसूरत नग़मे की रचना पर हार्दिक बधाई। दरअस्ल मैं आपकी पोस्ट पर आया तो था, लेकिन मैंने ये गीत सुना नहीं हुआ था, सो ये सोचा की गीत सुनकर ही टिप्पणी लिखनी चाहिए। राग केदार में बहुत मधुर धुन बनाई ओ पी नय्यर साहिब ने। सादर</span></p>
<p><span>आदरणीय </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz" class="fn url">अमीरुद्दीन 'अमीर'</a><span> साहिब, आपको इस ख़ूबसूरत नग़मे की रचना पर हार्दिक बधाई। दरअस्ल मैं आपकी पोस्ट पर आया तो था, लेकिन मैंने ये गीत सुना नहीं हुआ था, सो ये सोचा की गीत सुनकर ही टिप्पणी लिखनी चाहिए। राग केदार में बहुत मधुर धुन बनाई ओ पी नय्यर साहिब ने। सादर</span></p> आ. भाई अमीरुद्दीन जी सादर अभि…tag:openbooks.ning.com,2020-07-29:5170231:Comment:10137702020-07-29T23:37:32.717Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी सादर अभिवादन । इस सन्नाटे से होकर मैं गुजरा तो था पर निशान न जाने कहाँ गायब हो गये ...बहरहाल पुनः इस खूबसूरत नग्मे के लिए ढेरों बधाइयाँ स्वीकारें ।..</p>
<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी सादर अभिवादन । इस सन्नाटे से होकर मैं गुजरा तो था पर निशान न जाने कहाँ गायब हो गये ...बहरहाल पुनः इस खूबसूरत नग्मे के लिए ढेरों बधाइयाँ स्वीकारें ।..</p> इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई ?!…tag:openbooks.ning.com,2020-07-29:5170231:Comment:10138322020-07-29T17:05:19.990Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p> इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई ?!!! </p>
<p> इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई ?!!! </p>