Comments - कामोदसामन्त : विनय प्रकाश - Open Books Online2024-03-28T21:44:19Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1011756&xn_auth=noआ० विनय जी सुन्दर द्विपदियाँ…tag:openbooks.ning.com,2020-07-09:5170231:Comment:10119312020-07-09T14:42:02.251ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>आ० विनय जी <br/><br/>सुन्दर द्विपदियाँ कही हैं आपने <br/>भाव बहुत प्यारे है लेकन शब्दों में थोड़ी कृत्रिमता है ...शिल्प में शब्दचयन में सहजता की कमी महसूस हुई <br/><br/>गहन भाव भूमि पर कहन को संजोने के लिए बधाई स्वीकार करें </p>
<p>आ० विनय जी <br/><br/>सुन्दर द्विपदियाँ कही हैं आपने <br/>भाव बहुत प्यारे है लेकन शब्दों में थोड़ी कृत्रिमता है ...शिल्प में शब्दचयन में सहजता की कमी महसूस हुई <br/><br/>गहन भाव भूमि पर कहन को संजोने के लिए बधाई स्वीकार करें </p>