Comments - ग़ज़ल ( जाना है एक दिन न मगर फिक्र कर अभी...) - Open Books Online2024-03-29T14:55:22Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1011239&xn_auth=noभाई dandpani nahak जीसादर अभि…tag:openbooks.ning.com,2020-08-17:5170231:Comment:10150272020-08-17T10:43:35.206Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p style="text-align: left;">भाई dandpani nahak जी<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ. सादर एवं सप्रेम.</p>
<p style="text-align: left;">भाई dandpani nahak जी<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ. सादर एवं सप्रेम.</p> भाई ब्रजेश कुमार जी
सादर अभिव…tag:openbooks.ning.com,2020-08-08:5170231:Comment:10145732020-08-08T10:06:17.158Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>भाई ब्रजेश कुमार जी</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी हाजिरी और सराहना के लिए हृदयतल से आभार.</p>
<p>भाई ब्रजेश कुमार जी</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी हाजिरी और सराहना के लिए हृदयतल से आभार.</p> बड़ी ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आदर…tag:openbooks.ning.com,2020-08-08:5170231:Comment:10146102020-08-08T09:38:25.874Zबृजेश कुमार 'ब्रज'https://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>बड़ी ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आदरणीय सालिक जी...आदरणीय समर जी एवं रवि जी की विवेचना भी शानदार रही..</p>
<p>बड़ी ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आदरणीय सालिक जी...आदरणीय समर जी एवं रवि जी की विवेचना भी शानदार रही..</p> आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर' साहि…tag:openbooks.ning.com,2020-07-08:5170231:Comment:10117912020-07-08T02:14:18.883Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर' साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और सराहना के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ. ये उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब और आप जैसे गुणीजनों के मार्गदर्शन एवं स्नेह का ही परिणाम है कि मुझ जैसे अदने शाइर की रचना को फीचर ब्लॉग में स्थान मिला. इसके लिए मैं आप सब का एवं ओबीओ प्रबंधन का शुक्रगुजार हूँ. सादर.</p>
<p>आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर' साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और सराहना के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ. ये उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब और आप जैसे गुणीजनों के मार्गदर्शन एवं स्नेह का ही परिणाम है कि मुझ जैसे अदने शाइर की रचना को फीचर ब्लॉग में स्थान मिला. इसके लिए मैं आप सब का एवं ओबीओ प्रबंधन का शुक्रगुजार हूँ. सादर.</p> जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, शान…tag:openbooks.ning.com,2020-07-07:5170231:Comment:10117642020-07-07T06:41:32.500Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, शानदार ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ साथ ही ग़ज़ल को फीचर ब्लॉग में शामिल होने पर ख़ास मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए। सादर। </p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, शानदार ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ साथ ही ग़ज़ल को फीचर ब्लॉग में शामिल होने पर ख़ास मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए। सादर। </p> आदरणीय समर कबीर साहिब
आदाब.
ट…tag:openbooks.ning.com,2020-07-07:5170231:Comment:10118242020-07-07T01:17:50.026Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब</p>
<p>आदाब.</p>
<p>टंकन त्रुटि का अंदाजा हो गया था उस्ताद-ए-मुहतरम, इसलिए रवि साहब द्वारा सुझाए गए मिसरे का इस्तेमाल कर लिया. बहुत शुक्रिया आपका. आपका दिन शुभ हो.</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब</p>
<p>आदाब.</p>
<p>टंकन त्रुटि का अंदाजा हो गया था उस्ताद-ए-मुहतरम, इसलिए रवि साहब द्वारा सुझाए गए मिसरे का इस्तेमाल कर लिया. बहुत शुक्रिया आपका. आपका दिन शुभ हो.</p> //जाना है एक दिन तो न कर फ़िक्…tag:openbooks.ning.com,2020-07-05:5170231:Comment:10116712020-07-05T09:48:39.581ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>//<span>जाना है एक दिन तो न कर फ़िक्र तू अभी//</span></p>
<p><span>मेरे सुझाए इस मिसरे में टंकण त्रुटि हो गई है,इसे यूँ पढ़ें:-</span></p>
<p><span>जाना है एक दिन तो न तू फ़िक्र कर अभी'</span></p>
<p>//<span>जाना है एक दिन तो न कर फ़िक्र तू अभी//</span></p>
<p><span>मेरे सुझाए इस मिसरे में टंकण त्रुटि हो गई है,इसे यूँ पढ़ें:-</span></p>
<p><span>जाना है एक दिन तो न तू फ़िक्र कर अभी'</span></p> प्रिय रुपम
आदाब
ग़ज़ल पर हाज़िरी…tag:openbooks.ning.com,2020-07-05:5170231:Comment:10116632020-07-05T05:42:13.221Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>प्रिय रुपम</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर हाज़िरी और सराहना के लिए मश्कूर-ओ-ममनून हूँ. शुक्रिया बालक.</p>
<p>प्रिय रुपम</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर हाज़िरी और सराहना के लिए मश्कूर-ओ-ममनून हूँ. शुक्रिया बालक.</p> आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' साहिब…tag:openbooks.ning.com,2020-07-05:5170231:Comment:10116012020-07-05T05:39:21.083Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' साहिब</p>
<p>आदाब.</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति एवं सराहना के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ. आपकआपकी इस्लाह का ही इंतिज़ार कर रहा था.आपके सुझाव पर अमल करने के बाद पुनः पोस्ट करता हूँ. सादर.</p>
<p>आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' साहिब</p>
<p>आदाब.</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति एवं सराहना के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ. आपकआपकी इस्लाह का ही इंतिज़ार कर रहा था.आपके सुझाव पर अमल करने के बाद पुनः पोस्ट करता हूँ. सादर.</p> आदरणीय समर कबीर साहिब
आदाब
ग़ज़…tag:openbooks.ning.com,2020-07-05:5170231:Comment:10116002020-07-05T05:34:34.998Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और सराहना के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ. आपकी क़ीमती इस्लाह पर अमल करने के बाद ,पुनः पोस्ट करता हूँ. सादर</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और सराहना के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ. आपकी क़ीमती इस्लाह पर अमल करने के बाद ,पुनः पोस्ट करता हूँ. सादर</p>