Comments - ग़ज़ल ( अभी जो है वही सच है....) - Open Books Online2024-03-29T14:35:12Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1009674&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर साहिब
आदाब
ज़र…tag:openbooks.ning.com,2020-06-16:5170231:Comment:10103452020-06-16T01:23:20.144Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>ज़रूरी इस्लाह के हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ. बहुत शुक्रिया.सादर</p>
<p></p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>ज़रूरी इस्लाह के हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ. बहुत शुक्रिया.सादर</p>
<p></p> //जब मैंने लिखा तो मेरे ज़ेहन…tag:openbooks.ning.com,2020-06-15:5170231:Comment:10103302020-06-15T12:58:54.553ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p><span>//जब मैंने लिखा तो मेरे ज़ेहन में अज़ल के दो अर्थ थे, पहला अनंत काल और दूसरा मृत्यु या मौत.मेरे ख़याल से अज़ल इस मिसरे में फिट बैठ रहा है.//</span></p>
<p><span>'अज़ल' का वही अर्थ सहीह है,जो अमीरुद्दीन जी और रवि भसीन जी,ने बताया है,और आपने भी उसे पहले नम्बर पर लिखा है ।</span></p>
<p><span>एक शब्द है "अजल" इस शब्द में 'ज' के नीचे नुक़्ता नहीं लगता,इसका अर्थ मौत होता है ।</span></p>
<p><span>// क्या सानी मिसरे मेंं "अज़ल " को हटाकर अबद लिख दूँ?//</span></p>
<p><span>आप 'अज़ल' को हटाकर "अबद"…</span></p>
<p><span>//जब मैंने लिखा तो मेरे ज़ेहन में अज़ल के दो अर्थ थे, पहला अनंत काल और दूसरा मृत्यु या मौत.मेरे ख़याल से अज़ल इस मिसरे में फिट बैठ रहा है.//</span></p>
<p><span>'अज़ल' का वही अर्थ सहीह है,जो अमीरुद्दीन जी और रवि भसीन जी,ने बताया है,और आपने भी उसे पहले नम्बर पर लिखा है ।</span></p>
<p><span>एक शब्द है "अजल" इस शब्द में 'ज' के नीचे नुक़्ता नहीं लगता,इसका अर्थ मौत होता है ।</span></p>
<p><span>// क्या सानी मिसरे मेंं "अज़ल " को हटाकर अबद लिख दूँ?//</span></p>
<p><span>आप 'अज़ल' को हटाकर "अबद" कर सकते हैं ।</span></p>
<p></p> आदरणीय समर कबीर साहिब
आदाब
इस…tag:openbooks.ning.com,2020-06-15:5170231:Comment:10101572020-06-15T12:05:15.019Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>इससे पहले कि मैं इस ग़ज़ल के मतले में ज़रूरी सुधार करुँ,जैसा कि गुणीजनों की इस्लाह है. क्या सानी मिसरे मेंं "अज़ल " को हटाकर अबद लिख दूँ?जब मैंने लिखा तो मेरे ज़ेहन में अज़ल के दो अर्थ थे, पहला अनंत काल और दूसरा मृत्यु या मौत.मेरे ख़याल से अज़ल इस मिसरे में फिट बैठ रहा है. उस्ताद-ए-मुहतरम से गुजारिश है कि उचित मार्गदर्शन दें </p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>इससे पहले कि मैं इस ग़ज़ल के मतले में ज़रूरी सुधार करुँ,जैसा कि गुणीजनों की इस्लाह है. क्या सानी मिसरे मेंं "अज़ल " को हटाकर अबद लिख दूँ?जब मैंने लिखा तो मेरे ज़ेहन में अज़ल के दो अर्थ थे, पहला अनंत काल और दूसरा मृत्यु या मौत.मेरे ख़याल से अज़ल इस मिसरे में फिट बैठ रहा है. उस्ताद-ए-मुहतरम से गुजारिश है कि उचित मार्गदर्शन दें </p> आदरणीय भाई रवि शुक्ला जी
सादर…tag:openbooks.ning.com,2020-06-15:5170231:Comment:10101562020-06-15T10:13:57.212Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई रवि शुक्ला जी</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और सराहना के लिए ह्रदय से आभार.</p>
<p>आदरणीय भाई रवि शुक्ला जी</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और सराहना के लिए ह्रदय से आभार.</p> आदरणीय रवि भसीन साहिब
सादर प्…tag:openbooks.ning.com,2020-06-15:5170231:Comment:10102392020-06-15T10:11:36.424Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय रवि भसीन साहिब</p>
<p>सादर प्रणाम</p>
<p>सबसे पहले ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और सराहना के लिए हृदय से आभार. जब दो-दो.गुणीजनों की एक-सी प्रतिक्रिया मिल रही है तो मतले में सुधार आवश्यक हो जाता है. मैं आपका और अमीरूद्दीन साहिब का अत्यंत आभारी हूँ जिन्होंने इस अदने से शाइर को पढ़ा और ज़रूरी इस्लाह से नवाजा. सादर.</p>
<p>आदरणीय रवि भसीन साहिब</p>
<p>सादर प्रणाम</p>
<p>सबसे पहले ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और सराहना के लिए हृदय से आभार. जब दो-दो.गुणीजनों की एक-सी प्रतिक्रिया मिल रही है तो मतले में सुधार आवश्यक हो जाता है. मैं आपका और अमीरूद्दीन साहिब का अत्यंत आभारी हूँ जिन्होंने इस अदने से शाइर को पढ़ा और ज़रूरी इस्लाह से नवाजा. सादर.</p> आदरणीय सालिक गणवीर जी, बहुत…tag:openbooks.ning.com,2020-06-15:5170231:Comment:10100462020-06-15T08:11:36.472ZRavi Shuklahttps://openbooks.ning.com/profile/RaviShukla
<p><span>आदरणीय </span><a rel="nofollow" href="http://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir" class="fn url">सालिक गणवीर</a> <span> जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने, बधाई पेश है बाकी विद्ववत जन कह ही चुके है इस ग़ज़ल पर । बाकी शुभ शुभ । सादर </span></p>
<p><span>आदरणीय </span><a rel="nofollow" href="http://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir" class="fn url">सालिक गणवीर</a> <span> जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने, बधाई पेश है बाकी विद्ववत जन कह ही चुके है इस ग़ज़ल पर । बाकी शुभ शुभ । सादर </span></p> आदरणीय सालिक गणवीर साहिब, बहु…tag:openbooks.ning.com,2020-06-15:5170231:Comment:10102342020-06-15T07:36:38.050Zरवि भसीन 'शाहिद'https://openbooks.ning.com/profile/RaviBhasin
<p><span>आदरणीय </span><a class="fn url" href="http://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir">सालिक गणवीर</a><span> साहिब, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने, इस पर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल करें। विशेष तौर पे मतला और पहला शेर लाजवाब हैं। कृपया मतले में लफ़्ज़ 'अज़ल' पर दोबारा ग़ौर फरमाइयेगा।</span></p>
<p></p>
<p style="text-align: left;"></p>
<div align="left"><p dir="ltr">अज़ल = beginning, eternity, अनादि काल, वह समय जब सृष्टि की रचना हुई<br></br> अबद = eternity, time without end, वह समय जिसका अंत न हो,…</p>
</div>
<p><span>आदरणीय </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir" class="fn url">सालिक गणवीर</a><span> साहिब, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने, इस पर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल करें। विशेष तौर पे मतला और पहला शेर लाजवाब हैं। कृपया मतले में लफ़्ज़ 'अज़ल' पर दोबारा ग़ौर फरमाइयेगा।</span></p>
<p></p>
<p style="text-align: left;"></p>
<div align="left"><p dir="ltr">अज़ल = beginning, eternity, अनादि काल, वह समय जब सृष्टि की रचना हुई<br/> अबद = eternity, time without end, वह समय जिसका अंत न हो, अनंत</p>
</div>
<div align="left"><p dir="ltr"><br/> या फिर इस पर विचार कर सकते हैं:</p>
</div>
<div align="left"><p dir="ltr">1222 / 1222 / 1222 / 1222</p>
</div>
<div align="left"><p dir="ltr">अभी जो है वही सच है तेरे मेरे फ़साने में<br/> सलामत कौन रहता है क़यामत तक ज़माने में</p>
</div> आदरणीय अमीरूद्दीन ' अमीर ' स…tag:openbooks.ning.com,2020-06-15:5170231:Comment:10102262020-06-15T01:09:35.820Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय अमीरूद्दीन ' अमीर ' साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और हौसला अफजाई के लिए तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.</p>
<p>आदरणीय अमीरूद्दीन ' अमीर ' साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और हौसला अफजाई के लिए तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.</p> आदरणीय समर कबीर साहिब
आदाब
ग़ज़…tag:openbooks.ning.com,2020-06-15:5170231:Comment:10102242020-06-15T01:02:53.938Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और मार्गदर्शन के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ. आशा करता हूँ कि निकट भविष्य में भी आपका स्नेह और मार्गदर्शन सदैव मिलता रहेगा. सादर</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और मार्गदर्शन के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ. आशा करता हूँ कि निकट भविष्य में भी आपका स्नेह और मार्गदर्शन सदैव मिलता रहेगा. सादर</p> जनाब सालिक गणवीर जी, आदाब।
अच…tag:openbooks.ning.com,2020-06-14:5170231:Comment:10103152020-06-14T16:54:25.495Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब सालिक गणवीर जी, आदाब।</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>//अज़ल तक कौन रहता है सलामत इस ज़माने में// 'अज़ल' के मानी आदि काल होता है जो यहाँ मौज़ूँ नहीं है। आप शायद अनन्त काल की बात कर रहे हैं जिसके लिए लफ़्ज़ "अबद" होता है। आप यहाँ अज़ल के बजाय "अबद" कह सकते हैं।</p>
<p>//तड़पता देख कर मुझको सड़क पर वो नहीं रूकता</p>
<p>कहीं झुकना न पड़ जाए उसे मुझको उठाने में//. इस शेअ'र के ऊला मिसरे का शिल्प कमज़ोर है इसे यूँ कर सकते हैं :</p>
<p>"तड़पता देख कर मुझको सड़क पर यूंँ…</p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी, आदाब।</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>//अज़ल तक कौन रहता है सलामत इस ज़माने में// 'अज़ल' के मानी आदि काल होता है जो यहाँ मौज़ूँ नहीं है। आप शायद अनन्त काल की बात कर रहे हैं जिसके लिए लफ़्ज़ "अबद" होता है। आप यहाँ अज़ल के बजाय "अबद" कह सकते हैं।</p>
<p>//तड़पता देख कर मुझको सड़क पर वो नहीं रूकता</p>
<p>कहीं झुकना न पड़ जाए उसे मुझको उठाने में//. इस शेअ'र के ऊला मिसरे का शिल्प कमज़ोर है इसे यूँ कर सकते हैं :</p>
<p>"तड़पता देख कर मुझको सड़क पर यूंँ रुका न वो"। सादर।</p>