Comments - गज़ल - Open Books Online2024-03-29T02:09:19Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1009254&xn_auth=noआदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' साहब…tag:openbooks.ning.com,2020-06-13:5170231:Comment:10096952020-06-13T17:51:47.850ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' साहब सादर, प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से धन्यवाद. आपके सुझावों का स्वागत है. किन्तु यहाँ 'कई' की जगह मात्र 'नये' रख देने से बात नहीं बनने वाली है. उसके लिए सम्बंधित मिसरे में 'हर रोज' का भी जिक्र करना पड़ेगा. जो कि संभव नहीं है. इसलिए आपसे सक्षमा मैं यह बदलाव नहीं कर सकूँगा. सादर </p>
<p>आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' साहब सादर, प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से धन्यवाद. आपके सुझावों का स्वागत है. किन्तु यहाँ 'कई' की जगह मात्र 'नये' रख देने से बात नहीं बनने वाली है. उसके लिए सम्बंधित मिसरे में 'हर रोज' का भी जिक्र करना पड़ेगा. जो कि संभव नहीं है. इसलिए आपसे सक्षमा मैं यह बदलाव नहीं कर सकूँगा. सादर </p> आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले साह…tag:openbooks.ning.com,2020-06-08:5170231:Comment:10097192020-06-08T07:41:09.163Zरवि भसीन 'शाहिद'https://openbooks.ning.com/profile/RaviBhasin
<p><span>आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले साहिब, इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पे आपको दाद और बधाई पेश करता हूँ। सभी अशआर बहुत अच्छे लगे। एक शे'र के लिए सुझाव देना चाहूँगा, इस उम्मीद के साथ कि इससे शे'र का भाव नहीं बदल रहा। अगर सुझाव मुनासिब न लगे तो नज़र-अंदाज़ कर दीजियेगा:</span></p>
<p><span>आते हैं <strong>नये</strong> ग्राहक मंडी है अमीरों की</span></p>
<p><span>कहते हैं मगर इसको बाज़ार पुराना है </span></p>
<p><span>आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले साहिब, इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पे आपको दाद और बधाई पेश करता हूँ। सभी अशआर बहुत अच्छे लगे। एक शे'र के लिए सुझाव देना चाहूँगा, इस उम्मीद के साथ कि इससे शे'र का भाव नहीं बदल रहा। अगर सुझाव मुनासिब न लगे तो नज़र-अंदाज़ कर दीजियेगा:</span></p>
<p><span>आते हैं <strong>नये</strong> ग्राहक मंडी है अमीरों की</span></p>
<p><span>कहते हैं मगर इसको बाज़ार पुराना है </span></p> मेरे कहे को मान देने के लिए आ…tag:openbooks.ning.com,2020-06-08:5170231:Comment:10095732020-06-08T05:37:52.607ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>मेरे कहे को मान देने के लिए आपका धन्यवाद ।</p>
<p>मेरे कहे को मान देने के लिए आपका धन्यवाद ।</p> सादर नमस्कार आदरणीया डिंपल शर…tag:openbooks.ning.com,2020-06-07:5170231:Comment:10097092020-06-07T17:24:02.935ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>सादर नमस्कार आदरणीया डिंपल शर्मा जी. प्रस्तुत गज़ल पर उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर </p>
<p>सादर नमस्कार आदरणीया डिंपल शर्मा जी. प्रस्तुत गज़ल पर उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर </p> जी ! मैंने एडिट कर लिया है आप…tag:openbooks.ning.com,2020-06-07:5170231:Comment:10095012020-06-07T17:23:01.286ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>जी ! मैंने एडिट कर लिया है आपकी सलाह अनुसार. हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब. सादर नमन.</p>
<p>जी ! मैंने एडिट कर लिया है आपकी सलाह अनुसार. हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब. सादर नमन.</p> आदरणीय अशोक रक्ताले जी नमस्ते…tag:openbooks.ning.com,2020-06-06:5170231:Comment:10093762020-06-06T09:15:07.370ZDimple Sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/DimpleSharma
<p>आदरणीय अशोक रक्ताले जी नमस्ते , अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय अशोक रक्ताले जी नमस्ते , अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।</p> //इक जंग अजब देखो कोविड ने च…tag:openbooks.ning.com,2020-06-06:5170231:Comment:10094592020-06-06T06:02:53.596ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p><span>//इक जंग अजब देखो कोविड ने चला रख्खी// </span></p>
<p><span>अब मिसरा ठीक है ।</span></p>
<p><span>//इक जंग अजब देखो कोविड ने चला रख्खी// </span></p>
<p><span>अब मिसरा ठीक है ।</span></p> आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सा…tag:openbooks.ning.com,2020-06-06:5170231:Comment:10094582020-06-06T03:54:29.237ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, गज़ल पर हुए मेरे प्रयास को सराहने के लिए आपका दिल से शुक्रिया. सादर </p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, गज़ल पर हुए मेरे प्रयास को सराहने के लिए आपका दिल से शुक्रिया. सादर </p> आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस…tag:openbooks.ning.com,2020-06-06:5170231:Comment:10095322020-06-06T03:53:32.135ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, हार्दिक आभार आपका. बहुत कम ही होता है जब मैं गज़ल पर प्रयास करूँ. यहाँ इस गज़ल को पोस्ट करने का कारण आपसे इस्लाह करवाना ही था, क्योंकि बहुत से शब्द ऐसे इसमें आये हैं जो साधारणतः मेरी रचनाओं में नहीं होते हैं तब वर्तनी की त्रुटियाँ होना ही थीं. आपके कहे अनुसार मैंने परिमार्जन किया है. कोविड वाले मिसरे को यूँ कर लिया है // इक जंग अजब देखो कोविड ने चला रख्खी // कर लिया है. यह ठीक है तो बताएं मैं परिमार्जन कर लूँ. सादर </p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, हार्दिक आभार आपका. बहुत कम ही होता है जब मैं गज़ल पर प्रयास करूँ. यहाँ इस गज़ल को पोस्ट करने का कारण आपसे इस्लाह करवाना ही था, क्योंकि बहुत से शब्द ऐसे इसमें आये हैं जो साधारणतः मेरी रचनाओं में नहीं होते हैं तब वर्तनी की त्रुटियाँ होना ही थीं. आपके कहे अनुसार मैंने परिमार्जन किया है. कोविड वाले मिसरे को यूँ कर लिया है // इक जंग अजब देखो कोविड ने चला रख्खी // कर लिया है. यह ठीक है तो बताएं मैं परिमार्जन कर लूँ. सादर </p> जनाब अशोक रक्ताले जी आदाब,यक़ी…tag:openbooks.ning.com,2020-06-05:5170231:Comment:10092642020-06-05T06:37:37.716ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब अशोक रक्ताले जी आदाब,यक़ीन जानिए आप जैसे छंद शास्त्री को ग़ज़ल कहते देख बहुत मसर्रत होती है ।</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल कही आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'इक जंग अजब देखो कोविड ने कर डाली'</span></p>
<p><span>इस मिसरे की बह्र चेक कर लें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'ये जिस्म तमन्नाएं इस्रार</span></p>
<p><span>पुराना है'</span></p>
<p><span>'इस्रार'--"इसरार"</span></p>
<p></p>
<p><span>'अब इसमें नया क्या है बातें हैं गई…</span></p>
<p>जनाब अशोक रक्ताले जी आदाब,यक़ीन जानिए आप जैसे छंद शास्त्री को ग़ज़ल कहते देख बहुत मसर्रत होती है ।</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल कही आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'इक जंग अजब देखो कोविड ने कर डाली'</span></p>
<p><span>इस मिसरे की बह्र चेक कर लें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'ये जिस्म तमन्नाएं इस्रार</span></p>
<p><span>पुराना है'</span></p>
<p><span>'इस्रार'--"इसरार"</span></p>
<p></p>
<p><span>'अब इसमें नया क्या है बातें हैं गई गुजरी'</span></p>
<p><span>'गुजरी'--"गुज़री"</span></p>
<p></p>
<p><span> </span></p>
<p><span>'ये इश्क मुहब्बत का बीमार पुराना है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में उचित लगे तो 'इश्क़' की जगह "शख़्स" कर लें,क्योंकि इश्क़,महब्बत एक ही बात हुई ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'कोई भी सलीके से अब रखता नहीं इसको'</span></p>
<p><span>'सलीके'--"सलीक़े"</span></p>
<p></p>