Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T11:40:00Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1007564&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर साहब ग़ज़ल पर…tag:openbooks.ning.com,2020-05-22:5170231:Comment:10077502020-05-22T08:45:48.341ZRam Awadh VIshwakarmahttps://openbooks.ning.com/profile/RamAwadhVIshwakarma
<p style="text-align: right;">आदरणीय समर कबीर साहब ग़ज़ल पर टिप्पणी करने और उत्साह वर्धन के लिए सादर आभार</p>
<p style="text-align: right;">आदरणीय समर कबीर साहब ग़ज़ल पर टिप्पणी करने और उत्साह वर्धन के लिए सादर आभार</p> जनाब राम अवध जी आदाब, ग़ज़ल का…tag:openbooks.ning.com,2020-05-21:5170231:Comment:10078132020-05-21T06:31:22.398ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब राम अवध जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब राम अवध जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय लक्ष्मण नामी मुसाफिर ज…tag:openbooks.ning.com,2020-05-19:5170231:Comment:10075052020-05-19T23:50:19.476ZRam Awadh VIshwakarmahttps://openbooks.ning.com/profile/RamAwadhVIshwakarma
<p><em>आदरणीय</em> <em>लक्ष्मण नामी मुसाफिर जी ग़ज़ल पर सार्थक टिप्पणी के लिए आभार। अन्त में एक अक्षर अधिक होना मेरे विचार से जायज माना जाता है </em></p>
<p><em>आदरणीय</em> <em>लक्ष्मण नामी मुसाफिर जी ग़ज़ल पर सार्थक टिप्पणी के लिए आभार। अन्त में एक अक्षर अधिक होना मेरे विचार से जायज माना जाता है </em></p> आ. भाई राम अवध जी, सादर अभिवा…tag:openbooks.ning.com,2020-05-19:5170231:Comment:10072962020-05-19T10:29:11.216Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई राम अवध जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई । </p>
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<p><span>बांटते थे ग़म खुशी आपस में पहले दोस्त</span></p>
<p><span>ये मिसरा बेबह्र हो रहा है देखिएगा ..सादर</span></p>
<p>आ. भाई राम अवध जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई । </p>
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<p><span>बांटते थे ग़म खुशी आपस में पहले दोस्त</span></p>
<p><span>ये मिसरा बेबह्र हो रहा है देखिएगा ..सादर</span></p>