Comments - न हो किरदार अपना रब गिरी दीवार की सूरत(९१ ) - Open Books Online2024-03-28T14:05:28Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1005166&xn_auth=noआदरणीय TEJ VEER SINGH जी , हौ…tag:openbooks.ning.com,2020-04-29:5170231:Comment:10055082020-04-29T12:52:52.950Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'https://openbooks.ning.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p>आदरणीय <a href="http://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH" class="fn url">TEJ VEER SINGH</a> जी , हौसला आफ़जाई के लिए दिली शुक्रिया </p>
<p>आदरणीय <a href="http://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH" class="fn url">TEJ VEER SINGH</a> जी , हौसला आफ़जाई के लिए दिली शुक्रिया </p> हार्दिक बधाई आदरणीय गिरधारी स…tag:openbooks.ning.com,2020-04-29:5170231:Comment:10052062020-04-29T12:31:09.538ZTEJ VEER SINGHhttps://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span>गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी</span> जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p>रियाया को सियासतदाँ समझ बैठे हैं रक़्क़ासा</p>
<p>नचाते वोट लेकर अबरू-ए-ख़म-दार की सूरत</p>
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<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span>गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी</span> जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p>रियाया को सियासतदाँ समझ बैठे हैं रक़्क़ासा</p>
<p>नचाते वोट लेकर अबरू-ए-ख़म-दार की सूरत</p>
<p></p> आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कु…tag:openbooks.ning.com,2020-04-29:5170231:Comment:10052662020-04-29T06:34:00.965Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'https://openbooks.ning.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a> जी , हौसला आफजाई के लिए दिली शुक्रिया </p>
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a> जी , हौसला आफजाई के लिए दिली शुक्रिया </p> आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुस…tag:openbooks.ning.com,2020-04-29:5170231:Comment:10053512020-04-29T06:33:28.548Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'https://openbooks.ning.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url"> आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a> जी ,उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार एवं नमन </p>
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url"> आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a> जी ,उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार एवं नमन </p> आ. भाई गिरधर सिह जी, अच्छी गज…tag:openbooks.ning.com,2020-04-29:5170231:Comment:10051982020-04-29T06:25:39.732Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई गिरधर सिह जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई गिरधर सिह जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> आद0 गिरधर सिंह गहलोत जी सादर…tag:openbooks.ning.com,2020-04-29:5170231:Comment:10051932020-04-29T00:33:22.462Zनाथ सोनांचलीhttps://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार कीजिये।</p>
<p>आद0 गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार कीजिये।</p>