Comments - तरही ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T10:05:14Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1001530&xn_auth=noजनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,ओबी…tag:openbooks.ning.com,2020-02-25:5170231:Comment:10016292020-02-25T06:17:41.266ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,ओबीओ के तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'जिस तरह का था उस वैसा समझ बैठे थे हम'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'उस' को "उसे" कर लें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'ये जहाँ बदला मगर ये जिंदगी क्यूँ नहीं'<br/></span></p>
<p><span>ये मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है,'ज़िन्दगी' को "जिंदगानी" कर लें,बह्र में आ जायेगा ।</span></p>
<p>जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,ओबीओ के तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'जिस तरह का था उस वैसा समझ बैठे थे हम'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'उस' को "उसे" कर लें ।</span></p>
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<p><span>'ये जहाँ बदला मगर ये जिंदगी क्यूँ नहीं'<br/></span></p>
<p><span>ये मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है,'ज़िन्दगी' को "जिंदगानी" कर लें,बह्र में आ जायेगा ।</span></p>