Comments - वीर जवान - Open Books Online2024-03-28T23:02:13Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1000143&xn_auth=noबहुत बहुत धन्यवाद लक्ष्मण धाम…tag:openbooks.ning.com,2020-02-05:5170231:Comment:10006322020-02-05T10:05:01.958Zप्रशांत दीक्षित 'प्रशांत'https://openbooks.ning.com/profile/PrashantDixit
<p>बहुत बहुत धन्यवाद लक्ष्मण धामी'मुसाफिर' जी ।</p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद समर कबीर जी</p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद लक्ष्मण धामी'मुसाफिर' जी ।</p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद समर कबीर जी</p> जनाब प्रशांत दीक्षित 'सागर' ज…tag:openbooks.ning.com,2020-01-29:5170231:Comment:10002372020-01-29T09:59:26.664ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब प्रशांत दीक्षित 'सागर' जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब मुसाफ़िर जी की बात का संज्ञान लें ।</p>
<p>जनाब प्रशांत दीक्षित 'सागर' जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब मुसाफ़िर जी की बात का संज्ञान लें ।</p> आ. भाई प्रशांत जी, सुंदर गजल…tag:openbooks.ning.com,2020-01-27:5170231:Comment:10001572020-01-27T01:04:47.856Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई प्रशांत जी, सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई। </p>
<p>होसला को हौसला कर लीजिएगा </p>
<p><span>बूंद से रण बांकुरा इक उठ खड़ा है</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ करने से गुणवत्</span><span>ता निखर सकती है ..सादर</span></p>
<p><span>'उससे नव रण बांकुरा इक उठ खड़ा है'</span></p>
<p></p>
<p>आ. भाई प्रशांत जी, सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई। </p>
<p>होसला को हौसला कर लीजिएगा </p>
<p><span>बूंद से रण बांकुरा इक उठ खड़ा है</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ करने से गुणवत्</span><span>ता निखर सकती है ..सादर</span></p>
<p><span>'उससे नव रण बांकुरा इक उठ खड़ा है'</span></p>
<p></p>