For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पड़ते दुख के घाट पर, कभी न जिनके पाँव
समझ न आता  है  उन्हें, जग  में रोता गाँव।१।
*
चल आती है जो खुशी, दुख बैठा जिस राह
पुरखों से सुनते  वही, टिकती  बहुत अथाह।२।
*
सुख से सुख की कब हुई, तुलना जग में बोल
सुख का करते मान  हैं, बजकर दुख के ढोल।३।
*
दुख आकर देता सदा, सुख को रंग हाजार
उस बिन फीका ही रहे, सुख का घर संसार।४।
*
दुख तो ऐसा बौर है, जिस भीतर सुख बीच
जोर-जबर से कब  इसे, कोई  सका उलीच।५।
*
बिन दुख तो बेकार है, मन में सुख की चाह
नित लेते हैं सन्तजन, दुख से सुख की थाह।६।
*
कुछ कहते दुख धूप है, कुछ कहते सुख धूप
सन्तों  को   पर   एक  से, दोनों   रहे  अरूप।७।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 62

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on August 1, 2024 at 6:00pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, दोहों का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें,शेष जनाब अशोक रक्ताले जी कह चुके हैं ।

'चल आती है जो खुशी'

इसे भी देख लें ।

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 1, 2024 at 5:16pm

  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, सुख और दुःख को आधार बनाकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. किन्तु दोहों के भावों में स्पष्टता नहीं होने से पाठक असमंजस में रह जाता है.

पड़ते दुख के घाट पर, कभी न जिनके पाँव...........यहाँ तक स्पष्ट है.
समझ न आता  है  उन्हें, जग  में रोता गाँव।१।........... जग में गाँव के रोने का भाव इस दोहे के पूर्व चरण तक आये भावों से सीधे सम्बन्ध नहीं बना पा रहा है. इसे / क्यों गुमसुम है गाँव/ क्यों सूना है गाँव/ कुछ इस तरह किया जाए तो बेहतर होगा.

दुख आकर देता सदा, सुख को रंग हाजार/हज़ार...........दुःख आकर सुख को रंग देता है कुछ उल्टा ही भाव प्रतीत होता है. क्योंकि दुःख 
उस बिन फीका ही रहे, सुख का घर संसार।४।               रंग छीनने का काम करता है.

'उलीच'...शब्द का प्रयोग प्रायः तरल पदार्थ के लिए किया जाता है. बौर के बीच तरल का संगृहीत होना सम्भव नहीं जान पड़ता है. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"  कृपया  दूसरे बंद की अंतिम पंक्ति 'रहे एडियाँ घीस' को "करें जाप…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"पनघट छूटा गांव का, नौंक- झौंक उल्लास।पनिहारिन गाली मधुर, होली भांग झकास।। (7).....ग्राम्य जीवन की…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service