For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कृष्ण नहीं दरकार है भइया

ग़ज़ल

यह कैसा संसार है भइया
दीप तले अँधियार है भइया

जनता के हिस्से की रोटी
खा जाती सरकार है भइया

जाति धरम के बाद यहाँ क्या
जनमत का आधार है भइया

अधर अरुण कलियाँ धनु भौहें
अंजन हाय कटार है भइया

इस जग में कुछ निश्छल भी है
हाँ वह माँ का प्यार है भइया

आज जरूरत है दुर्गा की
कृष्ण नहीं दरकार है भइया

करता चल कुछ काम भले भी
जीना दिन दो चार है भइया

-रामबली गुप्ता

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 128

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on January 30, 2023 at 6:41pm

हार्दिक धन्यवाद भाई ब्रजेश कुमार जी

Comment by रामबली गुप्ता on January 30, 2023 at 6:40pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर भाई साहब। कुछ बेहतर की गुंजाइश हो तो जरूर बताइयेगा

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 30, 2023 at 6:37pm

आदरणीय गुप्ता जी...अच्छी ग़ज़ल कही है...बधाई

Comment by Samar kabeer on January 29, 2023 at 2:58pm

जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है , बधाई स्वीकार करें I 

Comment by रामबली गुप्ता on January 25, 2023 at 5:35pm

हार्दिक आभार लक्ष्मण भाई जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 25, 2023 at 11:28am

आ. भाई रामबली जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय ज़ैफ़ जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"जनाब Euphonic amit जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें ।"
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"जनाब ज़ैफ़ जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'हर सफ़र ज़िंदगी का…"
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास हुआ है लेकिन ग़ज़ल अभी समय चाहती है ।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"जी नीलेश जी, सुझाव ख़ूब हैं , बहुत आभार आपक।"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. ऋचा जी बहुत आभार आपका।"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. अमित जी, बहुत आभार। सुझाव के लिए बहुत शुक्रिय:।"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. अनिल जी, बहुत आभार"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. अमित जी, बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है। हर शेर पर दाद स्वीकार करें। सादर"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. महेंद्र जी, ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है। ग़ज़ल कहन की दृष्टि से अभी काम चाहती है। कई मिसरों को…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. ज़ैफ़ जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। हर सफ़र ज़िंदगी का की जगह ज़िंदगानी का सफ़र कहेंगे तो न केवल…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"धन्यवाद आ. ज़ैफ जी"
3 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service