For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA's Blog – January 2013 Archive (5)

जीवन-मृत्यु

जीवन-मृत्यु

----------------

एक अदृश्य सी रेखा

जीवन मृत्यु के मध्य

चुनना अत्यंत कठिन

दोनों में से एक को

जीवन क्षणभंगुर

अकाट्य सत्य है

मृत्यु भी असत्य नहीं

जान लें इस भेद को

मृत्यु की छाती पर

नर्तन करता जीवन

पकड़ना चाँद लहरों में

बाँधना रेत का कठिन

चेत रे मन होश न खोना

जीवन है अमूल्य खरा सोना

सुन्दर जीवन जिया जाये

होय वही जो पिया मन भाये…

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 20, 2013 at 6:30pm — 16 Comments

सेना दिवस

सेना दिवस 
-------------

धन्य  धरा भारत की जहाँ पग पग लगते मेले 

 उड़े अबीर गुलाल  हवा में  सब मिल गोद खेले
तिहुँ ओर घिरी  जल  से धरती  हिमालय बना  प्रहरी 
सूरज सबसे पहले उग कर  बिखेरे छटा सुनहरी 
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब भाई चारा निभाते 
होली ईद हो या दिवाली संग   मिल पर्व मनाते
सुखदेव सुभाष  भगत…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 14, 2013 at 1:08pm — 16 Comments

डा . तुकबंद की तबाहियां

डा . तुकबंद की तबाहियां

------------------------------

निकला मेरा जनाजा उनके इश्क की छाँव में

फूल बिछाए हमने बिखेरे कांटे उन्होंने राह में

भूल गए वो कि जनाजा तो काँधे पे जाएगा

गुजरेंगी इस राह से कोई बहुत याद आएगा

---------------------------------------------------------

आशिक और शायरों की है अलग पहचान

जानते हैं सब फिर भी बनते हैं अनजान

आशिकी में आशिक बस करते हैं आह आह

पढ़े गजल शायर लोग करते हैं वाह…

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 11, 2013 at 5:57pm — 9 Comments

प्रहार

प्रहार 

दहक उठे अंगारे धरती हुई रक्त से फिर पग पग  लाल 

जूझ पड़े वीर बाँकुरे झुके नहीं हँस  कटा दिए निज भाल
माँ  के लहराते आँचल में कायर  अरि  कंटक नित फंसाते 
धन्य है  भारत वीर भूमि जहाँ  बलिदानी पलकन चुनते जाते 
अरि मर्दन करने को खड़े रहते सीमा  पर प्रहरी  सीना  ताने 
हर बार लड़े  हर बार मिटे…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 2:01pm — 6 Comments

दामिनी के नाम

आदिकाल से नारी स्वयं में है पहचान,
क्यों कर अबला बनी है सर्वशक्तिमान,
दुर्गा अहिल्या शबरी सावित्री रूप भाता,
दुष्ट दलन श्रृष्टि कर्ता दुःख भंजन माता,
बहना बेटी भार्या बन परिवार में आती,
उड़ेल स्नेह कई रूपों में संस्कार जगाती,
धरती सा सीना इसका वात्सल्य की मूर्ति,
त्याग समर्पण स्नेह से करती इच्छा पूर्ति,
नाहक पुरूष पुरुषार्थ दिखाते लज्जा न आती,
न कोई और रिश्ता हो ये माता तो कहलाती|

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
९-१-२०१३

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 9, 2013 at 4:00pm — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service