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Shubhranshu Pandey's Blog (24)

पुरस्कार तथा प्रमाण-पत्र

एक अपार प्रसन्नता जो इस मंच के कारण मिली, उसे अन्य सोशल साइट्स के मित्रों से साझा कर शुभकामनाएँ लेते हुए आज ओबीओ के सदस्यों और पाठकों से भी साझा कर आशीर्वाद ले रहा हूँ.

मेरी हास्य रचना  ’..और मैं कवि बन गया’ को ओबीओ प्रबन्धन और प्रधान सम्पादक द्वारा माह अप्रैल’12 की सर्वश्रेष्ठ रचना घोषित की गयी थी. इसका सर्टिफिकेट तथा पुरस्कार राशि का चेक प्राप्त हुआ. मेरे रचना-प्रयास को मान देने के लिये ओबीओ के सभी सदस्यों और प्रायोजक को मेरा प्रणाम.  

ओबीओ मंच द्वारा इस उत्साहवर्धन के लिये…

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Added by Shubhranshu Pandey on August 17, 2012 at 9:00am — 5 Comments

चन्दा और बिजली (हास्य) // शुभ्रांशु पाण्डेय

वो कब चली गयी पता ही नहीं चला. हुँह, वो जाती है तो जाया करे. हमारे पास भी वैकल्पिक व्यवस्था है. वैसे भी…

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Added by Shubhranshu Pandey on August 11, 2012 at 12:00pm — 18 Comments

और मैं कवि बन गया (हास्य) / शुभ्रांशु

सुबह-सुबह एक अजीब सा खयाल आया. आप कहेंगे ये सुबह-सुबह क्यों ? खयाल तो अक्सर रात में आते हैं, जोरदार आते हैं. फिर ये सुबह के वक्त कैसे आया ! यानि, कोई रतजगा था क्या कल रात जो इस खयाल को आने में सुबह हो गयी ? नहीं, ऐसा कुछ नहीं है. वस्तुतः, मेरे हिसाब से, ये खयाल कुछ अजीब सा था, इसीलिये इसे समझते-बूझते सुबह हो गयी.

चूँकि सुबह के वक्त जो कुछ भी आता है बहुत जोर से आता है, सो, खयाल की भी हालत कुछ वही थी. एकदम से बाहर निकल आने को बेकरार ! अब सुबह-सुबह अपना खयाल कहाँ, किसपे साफ़ करुँ ? एकदम…

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Added by Shubhranshu Pandey on April 10, 2012 at 10:00pm — 19 Comments

खाली ज़मीन --- हास्य/ शुभ्रांशु पाण्डेय



सुबह-सुबह लाउडस्पीकर पर बजरंगबली के गोलगप्पा ले के कूद पडने वाले गाने को सुन कर मेरा मन भी बजरंगबली की तरह कूदने को होने लगा. यों मैं बताता चलूँ कि इस गाने या भजन (?) की कोई तुक समझ में नहीं आती है. लेकिन बजता है तो कुछ जरूर होगी. या तो ये गीत है या भजन है.

लेकिन सुबह-सुबह मेरे घर के बगल की खाली जमीन पर गोलगप्पा खिलाये बिना कुदाने वाले कौन लोग आ गये ? यही जानने समझने के लिये मैं हडबडा कर…

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Added by Shubhranshu Pandey on January 17, 2012 at 5:30pm — 10 Comments

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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