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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – April 2022 Archive (2)

रक्त से भीगा है आगन आज तक भी -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

2122-2122-2122

झूठ का  सन्सार  करना  चाहता है

सत्य पर नित वार करना चाहता है।१।

*

जो न रखता वास्ता अपनो से कोई

अन्य का  आभार  करना चाहता है।२।

*

देह को पतवार करके आदमी अब

हर नदी को  पार  करना चाहता है।३।

*

भाव गुणना आज भी आया नहीं पर

शब्द  का  व्यापार  करना  चाहता है।४।

*

भीड़ से लगने  लगा  अब डर बहुत

डर को भी हथियार करना चाहता है।५।

*

तोड़ देता था कभी दिखते ही उसको

अब…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 30, 2022 at 11:00am — 9 Comments

कहता हूँ तुझसे जन्मों का नाता है ओबीओ

गजल

221/2121/1221/212

*

लेखन का खूब गुण जो सिखाता है ओबीओ

कारण यही है सब  को  लुभाता  है ओबीओ।।

*

जुड़कर  हुआ  हूँ  धन्य  निखर  लेखनी गयी

परिवार  जैसा   धर्म   निभाता   है  ओबीओ।।

*

कमियों बता के दूर करें कैसे यह सिखा

लेखक सुगढ़ हमें यूँ बनाता है ओबीओ।।

*

अच्छा स्वयं तो लिखना है औरों को भी सिखा

चाहत ये सब के  मन  में  जगाता  है ओबीओ।।

*

वर्धन हमारा  हौसला  करने  को साथ…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 5, 2022 at 8:20am — 16 Comments

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