For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जितेन्द्र पस्टारिया's Blog (67)

मुझ पर तू यकीन कर ले !

मैं तेरा हूँ बस तेरा

तेरे दिल में मेरा बसेरा

मेरे दिल में तेरा ही डेरा

सारी उम्र तू हसीन कर ले

मुझ पर तू यकीन कर ले.....

क्यूँ बार बार दिल तोडती है

इरादों को यूँ मोड़ती है

जब किस्मत हमें जोड़ती है

दूरियों को तू महीन कर ले

मुझ पर तू यकीन कर ले.....

आजा छोटा सा जीवन है

चार दिनों का यौवन है

हर मौसम ही सावन है

खुशी  को तू आमीन कर ले

मुझ पर तू यकीन कर ले....

हम दोनों है…

Continue

Added by जितेन्द्र पस्टारिया on August 22, 2013 at 6:30pm — 28 Comments

तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं

तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं 

जब भी सोया अकेली रातों में

डूबता रहा  तुम्हारी बातों में 

कभी थे हाथ, तेरे हाथों  में 

हाँ! तुम  ही तुम महकती थीं 

तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं 

जब होती थीं तुम तन्हाई में 

विरह की सम्वेदित अंगड़ाई में 

भावों की असीम गहराई में 

साध चुप्पी, तुम बिलखती थीं

तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं 

मुझे याद है वे सारे पल 

वह परसों, आज और कल

जब टूटा था…

Continue

Added by जितेन्द्र पस्टारिया on August 8, 2013 at 5:00pm — 26 Comments

अन्तरंग यह बात...

आज सच तुझसे कहूँ

बिन तेरे कैसे रहूँ

इक दिन न इक रात

अन्तरंग यह बात...

सांसों में अब मिठास है

कड़वाहट अब न पास है

जब से तू है साथ

अन्तरंग यह  बात...

जुल्फ तेरी  घनघोर घटा

लहराएँ तो सर्द हवा

प्यार तेरा बरसात

अन्तरंग यह बात...

नयन तेरे मधुशाला हैं

बाहें तेरी, मेरी माला हैं

पाक मेरे जज्बात

अन्तरंग यह  बात...

मर जाऊं मिट जाऊं मैं

तुझ संग ही जी पाऊँ…

Continue

Added by जितेन्द्र पस्टारिया on August 4, 2013 at 11:00pm — 27 Comments

जल उठा मन का दिया // गीत

जल उठा मन का दिया 

प्रियतम! मिले हो जब से !

भोर हुयी है जीवन में

तमस रात थी कब से ! 

सांसो में तेरी ही खुशबु 

तुझको पाया जब से !

फूल खिले मन-उपवन में 

बीता पतझड़ जब से !

रक्त वाहिनी मद्धम मद्धम 

छुआ है तुमने जब से !

                     जितेन्द्र 'गीत

मौलिक/अप्रकाशित  

Added by जितेन्द्र पस्टारिया on July 26, 2013 at 5:30pm — 15 Comments

मेरी तुम

बहुत देर से 

धूप ही धूप  थी 

दूर तक

कोई दरख्त नहीं 

जिसकी छाँव तले मै 

आ जाऊं !

बहुत दिनों से

कंठ  सूखा था

दिनों तक कोई

लहर नहीं

जिसे जी भर मै

पी जाऊं !

कई जेठों  से

स्वेद की कितनी बूंदें

माथे छलछलाती थीं

कब शीतल पुरवाई में

समा जाऊं !

आ जाओ

बस आ ही जाओ

मेरी जिन्दगी 

छाँव, तृप्ति और श्वास

मेरी तुम !

-जीतेन्द्र…

Continue

Added by जितेन्द्र पस्टारिया on July 20, 2013 at 4:00pm — 29 Comments

लघु कथा - शोषण

"दस हजार रूपये की व्यवस्था कर ले रमेश, मुझे मेरे बच्चो को स्कूल ड्रेस और किताबें दिलानी है"

 किशन ने लापरवाही से अपने छोटे भाई रमेश को दवाब देते हुए बोला.

पिछले बड़े कर्जे से अभी अभी निपटा रमेश, अपने साले  द्वारा भी की गयी रुपयों की मांग को लेकर परेशान होते हुये बोला "हाँ, ठीक है, मै मालिक से बात करता हूँ." अपने दोस्त लखन के साथ रमेश मालिक के पास पैसे मांगने गया.

मालिक युगल ने अचरज करते हुए पूछा " अरे! तुझे इतनी बड़ी रकम की जरुरत पड गयी? तू अभी तो कर्जे से निपटा…

Continue

Added by जितेन्द्र पस्टारिया on July 18, 2013 at 11:30am — 8 Comments

लघुकथा- चादर

आखिर आज वही बात सच हुई, जिसकी चेतावनी युगल  ने  नितिन को चार माह पूर्व  दी थी।
नितिन के पिता रामेश्वर जी के पास बटवारे के बाद केवल पांच एकड़ जमीन मिली थी। नितिन और विपिन दो भाई है। 
नितिन के पिता रामेश्वर रोटी राम है, नितिन और विपिन ने आठ माह पहले दो एकड़ जमीन बेच के व्यवसाय के लिए डाउन पेमेंट पर ट्रेक्टर लिया था। चार माह पहले ही नितिन की शादी हुयी, नितिन के घर की पहली ही शादी है जिसे पारम्परिक रूप से…
Continue

Added by जितेन्द्र पस्टारिया on July 15, 2013 at 9:00pm — 26 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

AMAN SINHA posted a blog post

पुकार

कैसी ये पुकार है? कैसा ये अंधकार है मन के भाव से दबा हुआ क्यों कर रहा गुहार है? क्यों है तू फंसा…See More
4 hours ago
Nisha updated their profile
yesterday
Nisha shared Admin's discussion on Facebook
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। दोहे के बारे में सुझाव…"
Thursday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"सार्थक दोहे हुए, भाई मुसाफिर साहब ! हाँ, चौथे दोहे तीसरे चरण में, संशोधन अपेक्षित है, 'उसके…"
Thursday
Chetan Prakash posted a blog post

कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः

दुर्दशा हुई मातृ भूमि जो, गंगा ...हुई... .पुरानी है पावन देवि सरस्वती तुझे, कविता-कथा सुनानी है…See More
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

जलते दीपक कर रहे, नित्य नये पड्यंत्र।फूँका उन के  कान  में, तम ने कैसा मंत्र।१।*जीवनभर  बैठे  रहे,…See More
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर उपस्थितिभाव.पक्ष की कमी बताते हुए मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"मेरे सुझाव को स्वीकार कर तदनुरूप रचना में सुधार करने के लिए मैं आपका आभारी हूँ, आदरणीया विभा रानी…"
Wednesday
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"अवसर : शुभेक्षु "आपको सर्वोच्च शैक्षिक डिग्री अनुसन्धान उपाधि प्राप्त किए इतने साल गुजर गये!…"
Wednesday
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"जी महोदय Saurabh Pandey जी हार्दिक धन्यवाद आपका गलतियाँ सुधार ली जायेंगी"
Wednesday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service