For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – December 2018 Archive (9)

तीन क्षणिकाएं :

तीन क्षणिकाएं :

दूर होगई

हर बाधा

निजी स्वतंत्रता की

माँ-बाप को

वृद्धाश्रम

भेजकर

...................

रूकावट था

ईश मिलन में

अपनों का

मोह बंधन

देह दाह से

श्वास प्रवाह

मुक्त हुआ

अंश,

अंश में

विलुप्त हुआ

.........................

निकल पड़ी

पाषाणों से लड़ती

कल कल करती

निर्मल जल धार

हर रुकावट को रौंदती

मिलने

अपने सागर से

पाषाणों के

उस…

Continue

Added by Sushil Sarna on December 28, 2018 at 7:56pm — 6 Comments

विरासत ...

विरासत ...

तुम

देर तक

ठहरे रहे

मेरे संग

बरसात में भीगते हुए

जो सोचा था

वो कह न सकी

जो कहा

वो सोचा न था



लबों की जुम्बिश से

यूँ लगता था जैसे

तुमने भी

मुझसे मिलकर

कुछ कहना था शायद

जो कह न सके

मेरी तरह

देर तक

तुम्हारी नज़रों के

लम्स

ख़ामोश अहसासात का

तर्ज़ुमा करते रहे

बरसात होती रही

अलफ़ाज़

इश्क की इबारत गढ़ते रहे

अपनी अपनी खामोशी में

हम…

Continue

Added by Sushil Sarna on December 24, 2018 at 7:51pm — 4 Comments

बे-हया निशानी .....

बे-हया निशानी .....

हिज़्र की रातों में

तन्हा बरसातों में

खामोश बातों में

अश्कों की सौगातों में

मेरे नफ़्स में

साँसों के क़फ़स में

चांदनी बन कसमसाती

धड़कनों से बतियाती

सच, ओर कोई नहीं

सिर्फ, तुम ही तुम हो

बारिशों के पानी में

प्यासी कहानी में

नादान जवानी में

लहरों की रवानी में

अंगड़ाई की बेचैनी में

लबों की निशानी में

सच, ओर कोई नहीं

सिर्फ, तुम ही तुम…

Continue

Added by Sushil Sarna on December 21, 2018 at 5:30pm — 8 Comments

दोहा संकलन :

दोहा संकलन :

नैन करें अठखेलियाँ, स्पर्श करें संवाद।

बाहुबंध में हो गए, अंतस के अनुवाद।१ ।

नैन शरों के घाव का ,अधर करें उपचार।

श्वास-श्वास में खो गयी,स्पर्श हुए साकार।२ ।

नैन विरह में प्रीत के ,बरसे सारी रात।

गूँगे स्वर करते रहे, मौन पलों से बात।३ ।

अद्भुत पहले प्यार का, होता है आनंद।

देह-देह में रागिनीं , श्वास -श्वास मकरंद।४ ।

केशों में जूही सजे , महके हरसिंगार।

नैनों की हाला करे,…

Continue

Added by Sushil Sarna on December 15, 2018 at 5:12pm — 10 Comments

देर तक ....

देर तक ....

तुन्द हवाएँ

करती रही खिलवाड़

हर पात से

हर शाख से

देर तक

रोती रही

बेबस चिड़िया

टूटे अण्डों के पास

देर तक

हो गई शान्त

हवाएँ

प्रकृति से

अपना खिलवाड़ करके

हो गया शान्त

रुदन

चिड़िया का

कुछ न समझ सकी

खेल विधाता का

सृजन से पूर्व संहार

क्या यही है

संसार

बस देखती रही

बिखरे तिनके

टूटे अंडे

स्वप्न के अवशेष

देर तक

सुशील…

Continue

Added by Sushil Sarna on December 12, 2018 at 7:30pm — 6 Comments

रंगहीन ख़ुतूत ...

रंगहीन ख़ुतूत ...

तन्हाई

रात की दहलीज़ पर

देर तक रुकी रही

चाँद

दस्तक देता रहा

मन

उलझा रहा

किसका दामन थामूँ

अर्श के माहताब का

पलकों के ख्वाब का

या ज़ह्न के सैलाब का

सवाल

गर्म लावे से

उबलते रहे

जवाब

तन्हाई में

सुबकते रहे

मैं ज़ीना-ज़ीना

ज़ह्न के सन्नाटों में

उतरती रही

अपनी ही साये में

बिखरती रही

बस रहे गए हाथ में

अर्थहीन अलफ़ाज़ के

रंगहीन ख़ुतूत…

Continue

Added by Sushil Sarna on December 10, 2018 at 2:00pm — 8 Comments

दो क्षणिकाएं :

दो क्षणिकाएं :

पिघल गयी
दे कर आघात
बेदर्दी याद

......................

ढाया कह्र
आफ़ताब ने
ओस की बूँद पर
बिखर गई रेज़ा-रेज़ा
तन्हा-तन्हा
रोया गुलाब

.....................

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on December 7, 2018 at 8:56pm — 10 Comments

ख़्याल ...

ख़्याल ...

मैं सो गयी
इस ख़्याल से
कि तेरा ख्याल भी
साथ मेरे सो जाएगा
मगर
तेरा ख़्याल
तमाम शब्
मेरी नींदों से
खिलवाड़ करता रहा
मैं उनींदी सी सोयी रही
उसके लम्स
मेरे ज़ह्न को
झिंझोड़ते रहे
अंततः
सौंप दिया स्वयं को
ख़्याल बनके
उस ख़्याल के हवाले

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on December 5, 2018 at 6:54pm — 3 Comments

३ क्षणिकाएँ ...

३ क्षणिकाएँ ...

छोटी सी बात

साँय-साँय करती रात

स्मृति पटल को दे गई

अमर

स्पर्श

सौग़ात

........................

व्योम

शून्यता के पर्याय के अतिरिक्त

आश्रय स्थल भी है

उन स्मृतियों का

जो जीती हैं

मिट कर भी

अंत से अनंत तक

.....................................

भला घर

खंडहर में

तब्दील कब होते हैं

जब तक

रस मधुरस में एक…
Continue

Added by Sushil Sarna on December 3, 2018 at 7:00pm — 8 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Friday
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"जी सर आपकी बेहतरीन इस्लाह के लिए शुक्रिया 🙏 🌺  सुधार की कोशिश करती हूँ "
Thursday
Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"मुहतरमा ममता गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'जज़्बात के शोलों को…"
Wednesday
Samar kabeer commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । मतले के सानी में…"
Wednesday
रामबली गुप्ता commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आहा क्या कहने। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।"
Monday
Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
Nov 2
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
Nov 1
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
Oct 31
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
Oct 31

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service