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शकील समर's Blog – March 2014 Archive (1)

गजल : हम भी तेरी याद में रोए, ये भी तुमको मालुम हो//शकील जमशेदपुरी//

बह्र : मात्रिक बह्र

________________________________

तुम तड़पी तो हम भी तरसे, ये भी तुमको मालुम हो

तुमसे ज्यादा हम टूटे थे, ये भी तुमको मालुम हो

तुमको इसका दुख है तुमने, मेरे खातिर दर्द सहा

हम भी तेरी याद में रोए, ये भी तुमको मालुम हो



मेरा ऊँचा बंगला जाने, दुनिया को क्यों खलता है

एक समय था दर-दर भटके, ये भी तुमको मालुम हो



बस देख के उनकी सूरत को, उनको अच्छा मत जानो

इक चेहरे पे कितने चेहरे, ये भी तुमको मालुम हो…



Continue

Added by शकील समर on March 3, 2014 at 4:00pm — 7 Comments

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