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AVINASH S BAGDE's Blog – December 2013 Archive (4)

सुबह का सूरज --नवगीत !

नवगीत 
********
सुबह का सूरज 
आसमान में चढ़ जाये 
 
नव प्रभात के 
शब्द-सुमन ले 
कलरव का 
उसमे चिंतन ले 
किरणो के कुछ छंद 
सलोने गढ़ जाये    …सुबह का सूरज 
 
होते इस परिपक्व 
दिवस में 
किरणे घुल जाती 
नस-नस में 
कदमों पर आरोप 
थकन के मढ़ जाये …सुबह का सूरज 
 
ढलती ये 
संध्या…
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Added by AVINASH S BAGDE on December 28, 2013 at 11:00pm — 27 Comments

वही मै दे पाया ! … नवगीत !

वही मै दे पाया !   … नवगीत !
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जो था मेरे पास 
वही मै दे पाया…
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Added by AVINASH S BAGDE on December 23, 2013 at 11:31am — 30 Comments

नवगीत

जीने का 
विश्वास जगा है 
 
मरना माना 
अटल सत्य है 
क्यूँ जीने से 
मगर पथ्य है 
 
जीवन से ये 
साफ दगा है   .... जीने का। 
 
मन को 
मुट्ठी में कर लूंगा 
नयी ऑसजन 
मै भर लूंगा 
 
कर सकता हूँ 
मुझे लगा है ... जीने का। 
 
देख रहें 
सब रिश्ते - नाते 
याद  कर…
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Added by AVINASH S BAGDE on December 19, 2013 at 9:30am — 18 Comments

नवगीत

बर्फ देखो 
पिघलने लगी 
 
साँस पानी की 
जैसे थमी थी 
पत्थरों की  तरह 
जो जमी थी   … 
 
स्थितियाँ अब 
बदलने लगी   … बर्फ देखो। 
 
वो जो उम्मीद-
-जैसे खिला है 
साथ सूरज का 
हमको मिला है 
 
दूरियां पास 
चलने लगी     …बर्फ देखो। 
 
मौसम ने 
बदली है करवट 
पायी…
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Added by AVINASH S BAGDE on December 17, 2013 at 10:30am — 26 Comments

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