For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Manan Kumar singh's Blog – January 2016 Archive (5)

गजल(मनन)

2122 2122 2122 212

दोष उनको दे रहे क्यूँ आप कुछ तो बोलिये

मौन यह कबतक चलेगाआज मुँह तो खोलिये।1



सिर रहे धुन क्या मिला आगे मिलेगा और क्या

याद करनाआप क्यूँ ऐसे किसीके हो लिये।2

पर्व था जनतंत्र का चलते जरा आगे कहीं

मिल गये नाले समझ नद आपने मुँह धो लिये।3

हाथ में डोरी पड़ी थी हाँकते रथ और भी

घिर गयी क्षणभर घटा ढीले पड़े फिर सो लिये।4

आपके वरदान से राजा बने कितने सभी

मिल गया थोड़ा कहीं फिर तो बहुत कुछ खो…

Continue

Added by Manan Kumar singh on January 31, 2016 at 8:30am — 14 Comments

गजल

2212 2212 2212 12

बदले भले मौसम कभी मत आप दहलिये

सुलगे हमीं कितना कहें चुपचाप रह लिये।1



बदली हुई रुत देखते जाती रही खुदी

होगी नजर फिर आपकी सोचा उछह लिये।2



सूनी पड़ी है देखिये अपनी जहाँ अभी

आकर यहाँ चुपचाप ही निः शंक टहलिये।3



आधी अधूरी आज तक दिल की लगी रही

अबतक सहे हम हैं बहुत बस आज कह लिये।4



अब तो खिले कुछ फूल हैं फिर आपकी नजर

मसले गये हर बार सहते खार रह लिये।5



इतरा रहे कितना अभी गेंदा गुलाब हैं

छितरा रहे… Continue

Added by Manan Kumar singh on January 25, 2016 at 8:18am — 6 Comments

गजल

2212 2212 2212

कटते सिपाही ठग रही अब भीत है

बस मर्सिया पढ़ना यहाँ की रीत है।1



शर्मोहया ढूँढ़ें कहाँ,तू कह रहा-

कटते सिपाही खोखले! तू रीत है।2



बगुला बना तू रे चकाचक हो गया

गाता रहा तबसे पुराना गीत है।3



तू मछलियाँ लपका किया बस बेधड़क

जीता किसीने कह रहा निज जीत है।4



बँट ता रहा घर -बार है तेरी दुआ

रे दुखहरण! तुझसे समां भयभीत है।5



हर बार काँटा है चुभा परसे दही

रे छा रही संकट-घटा विस्फीत है।6



है फेंकता… Continue

Added by Manan Kumar singh on January 10, 2016 at 1:21pm — 2 Comments

गजल(मनन)

#गजल#

2212 2212 2212

कटते सिपाही ढ़ह रही कब भीत है?

बस फातिहा पढ़ना यहाँ की रीत है।1



शर्मोहया रख ताक पर ,तूने कहा-

कटते सिपाही,बात तेरी नीत है।2



बगुला बना चलता चकाचक तू हुआ

गाता रहा रे बस पुराना गीत है।3



तू मछलियाँ लपका किया बस बेधड़क

जीता किसीने कह रहा निज जीत है।4



बँटता रहा घर -बार है तेरी दुआ

रे दुखहरण! तुझसे समां भयभीत है।5



हमने जहाँ परसे दही काँटा चुभा,

रे भाल तेरा हो गया अब पीत है।6



है… Continue

Added by Manan Kumar singh on January 5, 2016 at 10:30pm — 18 Comments

गजल

2122 2122 2122 212

कामना आ ओ करें ऐसी जहाँ में रीत हो!

भूल जायें भेद सब नव वर्ष में बस प्रीत हो!!

पुष्प मुकुलित हों प्रिये आये मधुप लेकर नवल

रसभरी मधु-मालती को सिक्त करता गीत हो।

ज्योत्सना ऐसी खिलेअब रे खिले जन-मन मृदुल

हों सभी उन्मुक्त मन फिरअब नहीं कुछ भीत हो।

पी अमर रस पीक जब टेरे खड़ा फिर रे पिकी

छेड़ती हो धुन अमर गुंजित जहाँ हो जीत हो।

हों नियति के सब सभासद रुख लिए अनुकूल ही

हो निशा का अंत फूटे रोशनी नव नीत हो।

चंप-लतिका फेरती हो शीश…

Continue

Added by Manan Kumar singh on January 1, 2016 at 8:30am — 6 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाईसुशील जी, अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  इसकी मौन झंकार -इस खंड में…"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा पंचक. . . .  जीवन  एक संघर्ष जब तक तन में श्वास है, करे जिंदगी जंग ।कदम - कदम…"
Saturday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"उत्तम प्रस्तुति आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service