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Dr. Vijai Shanker's Blog – March 2015 Archive (13)

गलत करने का हक़ -- डा० विजय शंकर

सही होने ,

सही कहने ,

सही करने का

अधिकार किसको चाहिए ॥

किसी को थोड़ा ,

किसी को ज्यादा ,

गलत कर लेने का

हक़ सबको चाहिए ॥

किसी-किसी को तो

गुनाह करने का अख्तियार ,

भी बेइंतिहा चाहिए ॥



दुनियाँ को अच्छा होना चाहिए ।

हमारे गुनाहों पे पर्दा होना चाहिए ।

हमारे गलत कामों पर चुप,

निगाह नीची , और चर्चा पर

कठोर प्रतिबंध होना चाहिए ।

दुनियाँ में कुछ तो

शर्म-औ-हया होनी चाहिए ।

हम हैं तो ये जहांन है, ज़माना… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 29, 2015 at 4:54pm — 20 Comments

इच्छायें और चाहतें -- डॉo विजय शंकर

चाहतें इतनी ,

ये मिल जाता ,

वो मिल जाता ,

जो चाहा वो मिल जाता ,

कितना अच्छा हो जाता ।

चाहतें ही चाहतें

इच्छाओं की क्या कहें ,

पनपती ही नहीं ,

चाहतें हैं कि कम होती ही नहीं ,

इच्छायें है कि जनम लेतीं ही नहीं ,

इच्छा को इच्छा - शक्ति चाहिये ,

तभी फलीभूत होती है ,

चाहतें स्वयं सशक्त होती हैं।

बढ़ती हैं, अपने आप ,

देख के दूसरों को बढ़ती हैं ,

इच्छाएं नहीं बढ़ती हैं ,

स्वयं तो बिकुल नहीं ,

इच्छा को वहां भी शक्ति… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 24, 2015 at 9:31am — 16 Comments

हम तन्हा कहाँ होते हैं --डा० विजय शंकर

हम जब तन्हा होते हैं ?

तुम्हारे साथ होते हैं

तुमसे बातें करते हैं

तुमको देखा करते हैं

तुम्हारी मुस्कुराहटों में

हँसते हैं , जी लेते हैं

तुमसे सवाल करते हैं

तुम्हारे जवाब देते हैं

तुम्हारे हरेक सवाल के

सौ सौ जवाब देते हैं

कितनी बार पूछती हो

जब आप तन्हा होते हैं

तब आप क्या करते हैं ?

हम तन्हा कहाँ होते हैं

हम जहां भी होते हैं

तुम्हारे साथ होते हैं

हर बात मान लेती हो

इस पर यकीं नहीं करतीं

जब हम प्यार में होते… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 21, 2015 at 9:17pm — 10 Comments

वो आगे जाते रहे, हम पीछे जाते रहे - डॉo विजय शंकर

दुनियाँ में लोग

मन की गति से

अरमान पूरे करते रहे ,

जो चाहा उसे

हासिल करते रहे ,

हम हसरतों को

दबाने , मन मारने ,

के हुनर सिखाते रहे।

जो है उसे पाने में

वो जिंदगी पाते रहे ,

हम उसी को मिथ्या

और भ्रम बताते रहे।

वो गति औ प्रगति गाते रहे

हम सद्गति को गुनगुनाते रहे ,

वो आगे जाते रहे ,

हम पीछे जाते रहे ,

वो देश को सोने

जैसा बनाते रहे ,

हम देश को सोने की

चिड़िया बताते रहे ,

लोग उल्लुओं को

पास आने… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 19, 2015 at 9:43am — 19 Comments

जिंदगी को सौ बार जिया होता --डॉo विजय शंकर

इक बार जिंदगी में प्यार किया होता

खोने का मजा भी आ गया होता ,

जिंदगी भर जोड़ते रहे योगी बन के

कुछ बाँट दिया होता कुछ भोग लिया होता ,

रिश्तों को , दोस्तों को , तराजू पे तौलते रहे

कभी तो तराजू को आराम दिया होता ,

दुनिया कुछ नहीं , इक खूबसूरत नज़ारा है

जी भर के इसको , देख लिया होता ,

कुछ कह लिया होता ,कुछ सुन लिया होता

कुछ खो दिया होता ,कुछ पा लिया होता ,

कुछ भी तो साथ यहां से जाता नहीं

जो कुछ था यहीं , भुना लिया होता ,

जिंदगी को नसीहतें… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 16, 2015 at 9:10pm — 28 Comments

किसको बतायें -एक कोशिश - डॉo विजय शंकर

सम्हाल सके न इश्क किसको बतायें
हम काबिल ही न थे किसको बतायें |

जगहंसाई अपनी क्योंकर करायें
तुम बेवफा निकले किसको बतायें |

तुम खेल गये खेल था तुम्हारे लिये
हम समझे क्या उसे किसको बतायें |

लगा दुनियाँ जीत ली संग तुम्हारे
पर हम हर पल हारे किसको बतायेँ |

इक काँटा चुभे उसकी फितरत है
फूल भी चुभता है किसको बतायें

वजह भी बेवफाई की होती है
वजह वो खुद हम थे किसको बतायें |

Added by Dr. Vijai Shanker on March 13, 2015 at 9:30pm — 16 Comments

हिम्मत बढ़ाईये , जीते जाइए --डॉ o विजय शंकर

सच बोलने के लिए

गर मासूमियत नहीं,

हिम्मत औ जिगर की

जरूरत पड़ने लग जाए ,

तो समझ लीजिये कि

मासूमियत तो गई ,

बिलकुल चली गई ,

आपकी जिंदगी से ,

आपके आस-पास से ,

आप तो बस जी लीजिये

जिगर से , हिम्मत से।

जिंदगी एक प्यार का नगमा ,

एक मधुर गीत है ,

भूल जाइए , आपके लिए तो ,

बस एक संघर्ष है,

हिम्मत बढ़ाते जाइए ,

और जीते जाइए ,

जीते जाइए |

जब सच के लिए

हिम्मत की जरूरत

पड़ने लग जाए तो समझ जाइए ,

वो दिन… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 11, 2015 at 6:29pm — 20 Comments

क्यों कहते हो कुछ नहीं हो सकता है--- डॉo विजय शंकर

तुम बता रहे हो ,

मैं जानता हूँ , कुछ नहीं हो सकता ,

सदियों से झेलते आ रहे हैं ,

कुछ हुआ , अचानक अब क्या हो जाएगा।

पर , आओ हम कहें , तुम कहो , सब कहें कि

कुछ नहीं हो सकता , तय तो कर लें कि

क्या कुछ हो नहीं सकता।

वो जो पुरोधा बन के बैठे हैं ,

वह भी यही कह रहें हैं ,

वैसे वो जो चाहतें हैं , वह सब हो जाता है,

भाव बढ़ जाते हैं , मंहगाई बढ़ जाती है ,

उनकीं तारीफ़ , यशोगान हो जाता है ,

बस यही नहीं हो पाता है ,

हम ही दुनिया में अनूठे… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 9, 2015 at 8:43pm — 26 Comments

इण्डियाज डॉटर क्या है -- डॉo विजय शंकर

इण्डियाज डॉटर क्या है ,

बी बी सी द्वारा बनाई गयी

एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म है ,

एक गंभीर विषय है, हमारी

व्यवस्था, सोंच , नज़रिये को ,

को झकझोर देने वाला विषय है ,

ख़बरों में है, मगर विचार में नहीं |

हमको हमारे बारे में बताती है,

समझो, कुछ तो , हमें समझाती है ,

एक विचार , एक चुनौती है यह ,

सोचना पड़ेगा , ऐसा है कुछ यह।



एक निवेदन है यह ,

किसी की आशा , पूरी जिंदगी ,

लाज , लज्जा , अस्तित्व है यह।

एक दबाई गई सिसकी है… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 8, 2015 at 12:56pm — 15 Comments

ये नाम-करण कैसे हुआ -- डॉo विजय शंकर

नाम , नाम , नाम ,

नाम से तो यश है,

गौरव है , शान है,

व्यक्ति यशस्वी है,

जीते जी महान है ,

तदोपरांत पूज्य है,

वंदन है , गान है |

कितने नाम हमने दिए ,

कितने महान पैदा किये ,

देव है, पिता है, चाचा है,

भाई जी,ताऊ ,अम्मायें हैं

देवता कितने संख्य हैं,

नेता कितने असंख्य हैं ,

हम सर्वत्र नतमस्तक हैं ,

पर कितने नगणय हैं ,

सब नाम हमारे अपने हैं ,

नामकरण सब अपने हैं ,

मदर इंडिया फिल्म बनी ,

इंडियाज़ डॉटर कौन बनी… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 6, 2015 at 1:09pm — 16 Comments

अचानक याद आया --- डॉo विजय शंकर

कहते हैं गुलाब के साथ

कांटे जरूर होते हैं ,

पर कुदरत ने जीता जागता एक गुलाब ,

ऐसा भी बनाया है कि बनाने वाले की माया

कोई समझ नहीं पाया है,

उसको काँटों से बिलकुल मुक्त बनाया है,

इसे कुदरत की मेहरबानी कहें या नाइंसाफी ,

जो जिंदगी देती हैं उसकी ही जिंदगी को

इस कदर कमजोर बनाया है,

हद हो गयी आदमी ने इसी का

हर तरह से बस फायदा ही उठाया है ,

मर्द होने की अपनी जिम्मेदारियों को

बस यह कह कर निभा दिया है ,

कि हमने मेमने को बता दिया ,

घर… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 5, 2015 at 11:09am — 15 Comments

अपने धंधे , अपने तरीके हैं --- डॉo विजय शंकर

धंधे को मान देना ,

धंधे की बात है ।

पेशेवर खिलाड़ियों को मान-ईनाम ,

खुद एक पेशे की बात है ।

सैनिक के शहीद होने को

पेशे से जोड़ना दुःख की बात है ।



लोगों को हिफाजत दे नहीं पाते ,

वो हादसे के शिकार हो जाएँ

तो बड़ी बड़ी शोक सभाएं ,

कैंडल-मार्च निकलवाते हैं ,

और किया तो कोई गली

सड़क उसके नाम करवाते हैं।



प्रतिभा को हम तभी जानते हैं

जब दूसरे कोई विदेशी

पहले उसे पहचानते हैं ,

तब बड़े जोश खरोश से हम

उसे अपना अपना… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 3, 2015 at 10:45am — 20 Comments

हालात आदमी के - डॉo विजय शंकर

कितना होशियार है आदमी ,

हर समय सचेत रहता है ,

बुद्धि को प्रखर करता रहता है,

हर एक के दिमाग को पढ़ता रहता है ,

बस, जब लुटता है तो दिमाग से नहीं,

दिल से लुटता है,पूरे दिल से लुटता है ......



दिमाग उस समय भी

उसका चौकन्ना रहता है,

खूब याद रखता है, कि कब कहाँ ,

कैसे-कैसे , कितना-कितना लुटे ,

स्मृति में सब रहता है ,

बार बार , दोहराता रहता है,

सुनाता है अपने लुटने की कहानी,

दूसरों की भी सुनता है कहानी………



और फिर तैयार होता… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on March 1, 2015 at 11:00am — 21 Comments

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