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Ashok Kumar Raktale's Blog – December 2012 Archive (8)

खुशी कैसी

पुराना जब भी जाता है नया इक साल आता है,

नया जब साल आता है उम्मीदे साथ लाता है/

 

कोई इक बार आकर के व्यथा उनसे भी तो पूछो,

जिन्हें आते हुए नव साल का इक पल न भाता है/

 

कभी तुम झाँक लो देखो जरा उस मन की तो बूझो,…

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Added by Ashok Kumar Raktale on December 30, 2012 at 7:36pm — 13 Comments

प्रण

भोर भई अरु सांझ ढली दिन बीत गया अरु रात गई रे.

बात चली कुछ दूर गयी अरु जीवन हारत मौत भई रे,

मानत हैं नर नार प्रजा सब दामिनी नेह सहोद तई रे,

जीवन देकर ज्ञान दियो परखो नज़रें यह सीख दई रे/

 

सीख दई कछु ज्ञान दियो,पर जीव बचा नहि जान गई रे,…

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Added by Ashok Kumar Raktale on December 30, 2012 at 12:56am — 7 Comments

खामोश बही सरिता.

नदी चली पाथर से,बही मिली सागर से,

पवित्र सरिता जल संग निस्तार लिए/

प्रदूषित अकुलायी,बहती चली आयी,

अधजली मानव की लाशों का भार लिए/

 …

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Added by Ashok Kumar Raktale on December 27, 2012 at 10:30am — 7 Comments

एक प्रयास दो रंग. मुक्तहरा सवैया (जगण x 8)

नवीन लगे दिन रात नवीन सुहावत है हर बात नवीन/

नवीन खिले सब फूल-बहार,बयार चली भर शीत नवीन/

नवीन मिला जब साथ भई हथ हाथ लिए कुछ बात नवीन/

नवीन प्रसंग नवीन उमंग मिला मन को मन मीत नवीन//

करो न बचाव मिले उसको भरपूर सजा अरु दंड कठोर/

बने जहं भी नर कोय पिशाच, चुभे उसको गल फांस कि डोर/

जहां नित शोषित नार रहे सरकार में शामिल हों सब चोर/

वहाँ न सुरक्षित नार रहे घरबार न द्वार न मित्र न मोर/

Added by Ashok Kumar Raktale on December 23, 2012 at 9:30am — 14 Comments

सुमुखि सवैया (जगण x 7 + लघु + गुरु)

बुझाकर दीप नही करते जग रोशन होवत दीप हि से/

हुआ जग रोशन लो उनका उजियार मिला जब दीपक से/

मिटा तम भी मन भीतर का जब दीप जला मन भीतर से/…

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Added by Ashok Kumar Raktale on December 17, 2012 at 10:41pm — No Comments

सुखी सवैया (सगण x 8 + लघु + लघु ) एक प्रयास.

फिरि आवत जावत जाकर आवत, आवत है ऋतु ठंड कि ये पुनि/

फिरि सुर्य छिपा अरु धुंध बढ़ी, बदली दिखती नभ में बिछि ये पुनि/

सब लोग लिए कर कंपन कुम्पन, तांक रहे नभ में रवि को पुनि/

अरु सुर्य लगे धरती पर से, निकला सुबहा नभ में शशि है पुनि//

Added by Ashok Kumar Raktale on December 16, 2012 at 9:16pm — 3 Comments

प्रेम ही इश्वर है.

प्रेम ही ज्ञान है प्रेम ही मान है, प्रेम ही राधिका श्याम भी प्रेम ही,…

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Added by Ashok Kumar Raktale on December 1, 2012 at 10:58pm — 8 Comments

प्रेम

प्रेम  नशा अरु प्रेम मजा सब, प्रेम कथा अरु प्रेम हि भक्ति व,

प्रेम हि भाव व प्रेम सुभाव व,प्रेम हि त्याग व प्रेम हि शक्ति व,…

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Added by Ashok Kumar Raktale on December 1, 2012 at 8:53am — 6 Comments

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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