For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr Lalit Kumar Singh's Blog – August 2013 Archive (6)

रूह भर कर दे

मेरा वजूद बस इक बार बेखबर कर दे

पनाह दे तो असातीन मोतबर कर दे

 

चमन कहीं भी रहे और गुल कहीं भी हो  

मेरे अवाम को बस खुशबुओं से तर कर दे

 

कोई निगाह तगाफुल करे न गैर को भी

सदा उठे जो बियाबाँ से चश्मे-तर कर दे

 

कहाँ-कहाँ न गया हूँ मैं ख्वाब को ढोकर 

मेरा ये बोझ जरा कुछ तो मुक्तसर कर दे

 

तमाम रात अंधेरों से भागता ही रहा

तमाम उम्र उजाला तो रूह भर कर दे

 

तगाफुल= उपेक्षा; असातीन= खम्भा ;…

Continue

Added by Dr Lalit Kumar Singh on August 27, 2013 at 5:51pm — 15 Comments

पिघलना चाहता है

बशर जब से यहाँ पत्थर में ढलना चाहता है

ये बुत भी आज पत्थर से निकलना चाहता है

 

रिहाई मांगता है आदमी दुनिया से फिर भी

जहाँ भर साथ में लेकर निकलना चाहता है

 

तुम्हारी जिद कहाँ तक रोक पाएगी सफ़र को

ये मौसम भी किसी सूरत बदलना चाहता है

 

जिसे पत्थर कहा तूने अभी तक मोम है वो  

जरा सी आंच  तो दे दो पिघलना चाहता है

 

भले सूखा लगे दरिया, मगर पानी वहां पर

जरा सा खोद कर देखो, निकलना चाहता है

बशर=…

Continue

Added by Dr Lalit Kumar Singh on August 25, 2013 at 9:44pm — 9 Comments

सोचने भर से यहाँ कब क्या हुआ

सोचने भर से यहाँ कब क्या हुआ

चल पड़ो फिर हर तरफ रस्ता हुआ

 

जिंदगी तो उम्र भर बिस्मिल रही

मौत आयी तब कही जलसा हुआ

 

रोटियां सब  सेंकने में थे लगे

घर किसीका देखकर जलता हुआ

 

जख्म देकर दूर सब हो जायेंगे

आ मिलेंगे देखकर भरता हुआ

 

चाहिए पत्थर लिए हर हाथ को

इक शजर बस फूलता-फलता हुआ 

               

बिस्मिल = ज़ख्मी 

 

मौलिक और अप्रकाशित 

Added by Dr Lalit Kumar Singh on August 10, 2013 at 6:39am — 16 Comments

भूल जाने का हुनर आता नहीं

दोस्त  बनकर भूल  जाने का हुनर आता नहीं

लोग  कहते  हैं के  दस्तूरे  सफ़र आता नहीं

 

जब रहम  की  आस में दम तोड़ता है आदमी

क्यों किसी के दिल-जिगर में वो असर आता नहीं

 

दरहकीकत  छांव  दे  जो इस जहाँ की धूप से

अब हमारे  ख्वाब  में भी  वो शजर आता नहीं

 

रंग-ओ-खुशबू है मगर,यह टीस है कुछ फूल को

वक्त जब  माकूल  रहता, क्यों समर आता नहीं

 

जब मुकाबिल तोप  की जद में बरसती आग हो

फिर बशीरत के, सिवा कुछ भी नज़र आता…

Continue

Added by Dr Lalit Kumar Singh on August 7, 2013 at 5:54am — 7 Comments

लिख दिया तो लिख दिया

हमने तुम्हारी जात पर,जब लिख दिया तो लिख दिया

कुछ बेतुके जज्बात पर;जब लिख दिया तो लिख दिया

 

कितना सुहाना मुल्क है, तुमने कहा अखबार में

बीमार से हालात पर जब लिख दिया तो लिख दिया   

 

जब से खुले बाजार की रख्खी गयी है नींव तो  

हरदिन लगे आघात पर जब लिख दिया तो लिख दिया

 

नक्कारखाना बन गया, सुनता नहीं, कोई कहीं

दिन-रात के उत्पात पर जब लिख दिया तो लिख दिया

 

कश्ती भंवर में है परेशां, नाखुदा कोई नहीं

फिर…

Continue

Added by Dr Lalit Kumar Singh on August 6, 2013 at 6:30am — 18 Comments

सो करते रहे हम

इसी रास्ते से गुजरते रहे हम

दुआ जानते थे सो करते रहे हम

 

अब आये कभी गम तो फिर देख लेंगे   

यही सोच कर बस संवरते  रहे हम

 

उठाते  बिठाते जगाते रहे है

मुकद्दर को झोली में भरते रहे हम

 

कोई है जो अन्दर, यही देखता है

कब उसकी निगाहों में गिरते रहे हम

 

समझ लें जो खुद को यही बस बहुत है

‘जो मैं हूँ’ , उसीसे तो डरते  रहे हम

 

मौलिक और अप्रकाशित 

Added by Dr Lalit Kumar Singh on August 5, 2013 at 9:44pm — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service