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AMAN SINHA's Blog – August 2022 Archive (6)

हिंदी क्या है?

हिंदी क्या है?

बस एक लिपि?

नहीं

बस एक भाषा?

नहीं

बस एक अनुभव है?

नहीं

हिंदी आत्मा है,

सम्मान है, स्वाभिमान है

भारत की पहचान है

 

हिंदी क्या है?

बस एक बोली?

नहीं

बस एक संवाद का माध्यम?

नहीं

बस एक भाव?

नहीं

हिंदी जान है, गुमान है,

आर्याव्रत का अभिमान है

 

हिंदी क्या है?

एक रास्ता है

जिसपर…

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Added by AMAN SINHA on August 31, 2022 at 10:24am — No Comments

कुछ क्षण हीं शेष है अब तो

कुछ क्षण हीं शेष है अब तो, मिल जाओ तुम तो अच्छा है 

कैसे मैं समझाऊँ तुमको, जीवन का धागा कच्चा है 

साँस में आस  जगी है अब भी, तुम मुझसे मिलने आओगे 

आँखें बंद होने से पहले, आँखों की प्यास बुझाओगे 

 

तुम बिन मेरा…

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Added by AMAN SINHA on August 29, 2022 at 3:11pm — No Comments

अंतिम पाति

प्रथम प्रणाम उन मात-पिता को, जिन्होंने मुझको जन्म दिया 

शीर्ष प्रणाम उन गुरुजनों को, ज्ञान का जिन्होंने आशीष दिया 

फिर प्रणाम उन पूर्वजों को, मैं जिनका वंशज बनकर जन्मा 

शेष प्रणाम उन मित्रजनों को, जिनसे है मुझको प्रेम घना 

मैं न भुला उन बहनो को, राखी जिसने बांधी थी 

जिसकी सदा रक्षा करने की, मैंने कसमें खाई थी 

छोटे-बड़े सब भाई मे,रे…

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Added by AMAN SINHA on August 22, 2022 at 12:30pm — No Comments

एक जनम मुझे और मिले

एक जनम मुझे और मिले, मां, मैं देश की सेवा कर पाऊं 

दूध का ऋण उतारा अब तक, मिट्टी का ऋण भी चुका पाऊं 

 

मुझको तुम बांधे ना रखना, अपनी ममता के बंधन में 

मैं उसका भी हिस्सा हूँ मां, तुमने है जन्म लिया जिसमे  

 

शादी बच्चे घर संसार, ये सब मेरे पग को बांधे है 

लेकिन मुझसे मिट्टी मेरी, मां, बस एक बलिदान ही मांगे है 

 

सब हीं आंचल मे छुपे रहे तो, देश को कौन संंभालेगा 

सीमा पर शत्रु सेना से, फिर कौन कहो लोहा…

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Added by AMAN SINHA on August 15, 2022 at 11:43am — No Comments

मैं ऐसा हीं हूँ

गुमसुम सा रहता हूँ, चुप-चुप सा रहता हूँ 

लोग मेरी चुप्पी को, मेरा गुरूर समझते है 

भीड़ में भी मैं, तन्हा सा रहता हूँ 

मेरे अकेलेपन को देख, मुझे मगरूर समझते हैं 

        

अपने-पराये में, मैं घुल नहीं सकता 

मैं दाग हूँ ज़िद्दी बस, धूल नहीं सकता         

मैं शांत जल सा हूँ, बड़े राज़ गहरे है 

बहुरूपिये यहाँ हैं सब, बडे …

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Added by AMAN SINHA on August 9, 2022 at 9:47am — No Comments

बस मेरा अधिकार है

ना राधा सी उदासी हूँ मैं, ना मीरा सी  प्यासी हूँ 

मैं रुक्मणी हूँ अपने श्याम की, मैं हीं उसकी अधिकारी हूँ 

ना राधा सी रास रचाऊँ ना, मीरा सा विष पी पाऊँ

मैं अपने गिरधर को निशदिन, बस अपने आलिंगन मे पाऊँ

क्यूँ जानु मैं दर्द विरह का, क्यों काँटों से आंचल उलझाऊँ 

मैं तो बस अपने मधुसूदन के, मधूर प्रेम में गोते खाऊँ

क्यूँ ना उसको वश में कर लूँ, स्नेह सदा अधरों पर धर लूँ 

अपने प्रेम के करागृह में, मैं अपने…

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Added by AMAN SINHA on August 1, 2022 at 1:50pm — No Comments

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