For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नयना(आरती)कानिटकर's Blog – December 2015 Archive (4)

"बदला"

पुलिस चौकी को कार्यक्रम स्थल मे बदल दिया गया है , सामने  लोगो का मजमा लगा हुआ है | उसे देखने के लिये सब बडे आतुर है । आज वो आत्मसमर्पण करने वाली है प्रदेश के सी.एम के सामने । तभी पीली बत्ती की गाड़ी भांय-भांय कर कार्यक्रम स्थल मे प्रविष्ट होती है । तथाकथित सारे उच्चाधिकारी उन्हे घेरे खड़े है ।

कडे सुरक्षा कवच के बीच अंतत वह अपनी बंदूक उनके चरणों मे रख आत्मसमर्पण कर देती है । अन्य औपचारिकता के बाद कार्यक्रम समाप्ती की घोषणा हो जाती है ।

सभी समाचार पत्रों के कुछ तथाकथित  …

Continue

Added by नयना(आरती)कानिटकर on December 10, 2015 at 9:26am — 3 Comments

गुजारिश रिश्ते की

कैलेंडर  का पन्ना पलटते ही उसकी नजर तारीख़ पर थम गई। विवाह का दिन उसके आँखो के आगे चलचित्र सा घूम रहा था।.सुशिक्षित खुबसुरत नेहा और आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक नीरज की जोडी को देख सब सिर्फ़ वाह-वाह करते रह गये थे.वक्त तेजी से गुज़र रहा था।.

जल्द ही नेहा की झोली मे प्यारे से दो जुडवा बच्चे बेटा नीरव और बेटी निशीता के रुप मे आ गये।.तभी --

वक्त ने अचानक करवट बदली बच्चों के पालन-पोषण मे व्यस्त नेहा खुद  पर व रिश्ते पर इतना ध्यान ना दे पाई । उसके  के हाथ से नीरज मुट्ठी से रेत की तरह फ़िसलता…

Continue

Added by नयना(आरती)कानिटकर on December 8, 2015 at 1:00pm — No Comments

"आभासी रंग"

"बादल !! देखो कितनी सुन्दर हरियाली , चलो हम कुछ देर यही टहलते है"

वो देखो मानव और प्रकृति भी है .संग नृत्य करेगे.

"बादल ने हवा का हाथ पकडते हुए  गुस्से मे कहा-- चलो!! यहाँ से  धरती माँ की गोद  मे  जहाँ सिर्फ़ प्रकृति बहन ही हो. हम वहा नृत्य करेगे".मानव तो कब का उसे छोड चुका है,बेचारी मेरी प्रकृति बहना…

Continue

Added by नयना(आरती)कानिटकर on December 5, 2015 at 3:30pm — 2 Comments

"अब लौट चले"

सुरेखा कब से देख रही थी आज माँ-बाबूजी पता नहीं इतना क्या सामान समेट रहे है। बीच मे ही बाबूजी बैंक भी हो आए.एक दो बार उनके कमरे मे झांक भी आयी चाय देने के बहाने मगर पूछ ना पाई।

"माँ-बाबूजी नही दिख रहे ,कहाँ है.?"सुदेश ने पूछा

"अपने कमरे मे आज दिन भर से ना जाने क्या कर रहे है। मैं तो संकोच के मारे पूछ भी नही पा रही.तभी---…

Continue

Added by नयना(आरती)कानिटकर on December 4, 2015 at 7:00pm — 13 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service