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Deepak Sharma Kuluvi's Blog (122)

कहानी (दुआओं का असर)

कहानी
 
दुआओं का असर…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on July 18, 2012 at 5:06pm — 7 Comments

कब बदलोगे

कब बदलोगे

कभी मस्जिद में ले चलना कभी मंदिर में आओ तुम

वहीँ से चर्च में चल देंगे मिलजुलकर हम और तुम

यह दर-ओ-दीवार मज़हव की कहीं आड़े न आ जाए

कहीं इंसानियत के फूल को कम्बखत खा जाए

बदलो सोच को अपनी झाँको दिल के बाहर भी

घटिया सोच के दायरे में कहीं हो जाएँ न हम गुम

यह मेरा दावा है गुरूद्वारे में भी राम बसते हैं

ज़रा तू मान ले यह बात दीपक 'कुल्लुवी' की भी सुन…

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Added by Deepak Sharma Kuluvi on July 13, 2012 at 5:02pm — 6 Comments

सब रह जाएगा

सब रह जाएगा

कहीं किडनी फेल कहीं हार्ट फेल

कुदरत के हैं यह अजीब खेल

कर्म किए हैं तूने जैसे

वैसी ही अब सज़ा तू झेल

भूल गया था तू औकात

कुछ भी तुझको रहा न याद

बहुत हँसा अब रोएगा तू

कौन सुने तेरी फरियाद

वोह ऊपर बैठा सब देखे है

कर्मों के ही सब लेखे हैं

इंसाफ़ करेगा वोह तो ज़रूर

मिटा के रहेगा तेरा गरूर

जीवन में चाहे कुछ भी करना

किसी के हक से घर न भरना

धन दौलत यहीं रह जाएगा

अपनी हस्ती पे गुमाँ न…

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Added by Deepak Sharma Kuluvi on July 13, 2012 at 10:00am — 6 Comments

किस ज़ुर्म की

किस ज़ुर्म की
 
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की सजा देते हो
आप तो मेरे अश्कों से भी मज़ा लेते हो
हम मुहब्बत के लिए जीते रहे और मर भी गए
आप मुझको नहीं खुद को भी दगा देते हो
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की स----------…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on July 10, 2012 at 11:24am — 9 Comments

ग़मगीन

ग़मगीन

तक़दीर ही अपनी ऐसी थी

अपने हिस्से में गम निकले

जब भी कोशिश की हँसने की

आँख से आँसू बह निकले

अतीत नें पीछा छोड़ा न

न अपनों नें ही जीने दिया

खुदा से अब तो यही दुआ है

हँसते हँसते ही दम निकले

दीपक…

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Added by Deepak Sharma Kuluvi on July 7, 2012 at 1:01pm — 3 Comments

(सर चकराए)

(सर चकराए)

राधे माँ के लटके झटके

नित्यानंद के देखो नखरे

निर्मल बाबा के अजीब उपाय

देख के भईया सर चकराए

बाबाओं की गजब कमाई

अपार दौलत शोहरत पायी

गरीब तलाशता गोबर में दाना

बाबाओं नें लुटिया डुबाई

साधू नहीं यह स्वादु हैं

भोली जनता इनकी बाजू हैं

मृदुवाणी से बस में करते है

और झोलियाँ अपनी भरते हैं

कोई तन लूटे कोई मन लूटे

सब धन लूटे चुपचाप

उनकी चिकनी चुपड़ी बातों से

हो रहे हम बर्वाद

यह बाबा फसल बटेरे हैं…

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Added by Deepak Sharma Kuluvi on June 13, 2012 at 2:53pm — 4 Comments

कठोर बाबा

इण्डिया टी० वी० की ताज़ा  खबर:निर्मल बाबा के जून में दिल्ली श्रीफोर्ट में होने वाले चारों समागम स्थगित हो गए हैं बेचारे बाबा भक्तों के पैसे लौटाएंगे श्रीफोर्ट बुकिंग  के नौ लाख रुपये लौटा दिए I
कठोर बाबा
प्यारे निर्मल भक्तो 
न घबराएँ न शरमाएँ 
यह पैसे लेकर सीघे…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on June 8, 2012 at 10:45am — 8 Comments

(क्या ऐसे होते हैं-?)

(क्या ऐसे होते हैं-?)
 
क्या बाबा ऐसे होते हैं
जो लोगों को उकसाते हैं
मधुर बाणी से फँसाते हैं
और करोडो अरबों कमाते हैं
लोग तो भोले भाले हैं
बस झांसे में आ जाते हैं 
तन मन धन जब लुट जाता 
तब कहीं होश में आते हैं
धोखा देते जनता को…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on June 7, 2012 at 12:36pm — 8 Comments

कुछ तो

खबर:-तलवार दम्पति पर अपनी ही  बेटी के क़त्ल का मुकदमा चलेगा I
कुछ तो 
आरुषी जिगर का टुकड़ा थी 
फिर ऐसा क्यों कर डाला 

कुछ तो ऐसा हुआ होगा 

जो बेटी को मार डाला
उनके दर्द को देखों यारो 
जो रो भी नहीं सकते
ज़ख्म उनके भी ऐसे होंगे 
जो कभी नहीं भर सकते 
इलज़ाम लगाना आसाँ है 
पर हकीकत कड़वी होती है
ऐसे…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on May 25, 2012 at 11:00am — 14 Comments

मुहब्बत कर लें

मुहब्बत कर लें

आओ मिल जुल के इस दुनियाँ से मुहब्बत कर लें

अमन-ओ-चैन का हर दिल में इक जज़्बा भर दें
गर तेरे शहर मंदिर नहीं कोई बात नहीं
हमको ले चल तू मस्जिद में इबादत कर लें
फर्क मज़हब में गर होता तो रंग-ए-खूँ भी अलग होता
तेरा पीला उसका नीला कहाँ लाल होता
तेरे अल्ला मेरे भगवान में कोई फर्क नहीं 
हो न ऐतवार तो चल उनसे ही शिकायत कर लें …
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on May 24, 2012 at 11:16am — 9 Comments

दूर होकर

दूर होकर


दूर होकर तुझसे हम दूर कहाँ जाएँगे
दिल में झाँको तो सही पास नज़र आएँगे
दूर होकर तुझसे हम दू ---------------
हम मुहब्बत के पुजारी हैं करो मुझपे यकीं
तुम…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on May 18, 2012 at 2:41pm — 7 Comments

धर्मकोट दूसरा मनाली रिपोर्ट :- दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'

पर्यटन विशेषांक

धर्मकोट दूसरा मनाली
प्रैस रिपोर्टर :- दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
.…

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Added by Deepak Sharma Kuluvi on May 18, 2012 at 11:00am — 15 Comments

बाद मेरे

बाद मेरे तेरी तकदीर बदल जाएगी
है यकीं मुझको मेरी याद भी न आएगी
बाद मेरे तेरी तकदीर बदल--------
छोडो मुझको मेरी यादों को कुछ नहीं इनमें 
ज़िन्दगी यूँ ही बाकी भी गुज़र…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on April 27, 2012 at 5:30pm — 10 Comments

कैसी तकदीर

कैसी तकदीर ले के दुनियां में हम आए हैं
ज़ख्म-ए-दिल पे ही तो  इल्ज़ाम  उनके खाए हैं
कैसी तकदीर ले के दुनियां -------------…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on April 27, 2012 at 5:30pm — 2 Comments

दुखी आत्मा (लघुकथा)

एक भजन लेखक,शायर का देहांत हो गया इसलिए दाहसंस्कार के लिए कुछ एक जानने पहचानने वाले  लोग दोस्त मित्र,रिश्तेदार उनके घर पर एकत्रित हो गए I सब लोग अपने अपने ढँग से उनकी विधवा  पत्नी से संवेदनाएँ व्यक्त कर रहे थे उनकी लेखनी की तारीफ कर रहे थे.... उन्हें  कुछ अवार्ड भी मिले थे उसकी चर्चा भी हो रही थी Iकुछ देर बाद एक मित्र नें उनकी विधवा पत्नी से  कहा .....भाभी जी दाहसंस्कार के लिए लकड़ी व अन्य सामग्री की ज़रुरत पडेगी इसलिए लगभग दस हज़ार रुपये दे दीजिए ....दस…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on April 27, 2012 at 5:00pm — 12 Comments

हो न सका

हो न सका


ऐसे बिछुड़े दीदार हो न सका
बेवफाओं से प्यार हो न सका 
ऐसे बिछुड़े -------------
तुझको भूले न भूलना आया-२
हमको खोकर तुमने क्या पाया-२…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on April 13, 2012 at 12:25pm — 12 Comments

हक़ीकत

 हक़ीकत


आज नहीं तो कल सबके ही दिन आएँगे

सुंदर दिखते चेहरे इक दिन बदसूरत हो जाएँगे
फिर न दिखेगी चमक…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on April 12, 2012 at 12:48pm — No Comments

हक़ीकत

हक़ीकत


आज नहीं तो कल सबके ही दिन आएँगे

सुंदर दिखते चेहरे इक दिन बदसूरत हो जाएँगे
फिर न दिखेगी चमक दमक सब फीका हो जाएगा…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on April 12, 2012 at 10:33am — 2 Comments

अपना बना लेंगे

अपना बना लेंगे 


यकीं हमको नहीं होता 
कि वोह हैं बेवफ़ा यारो
चलो वोह बेवफ़ा ही सही
मुहब्बत हम सिखा देंगे
दिलों से नफरत मिटाने का
जनूं हम भी तो रखते हैं
देखना एक दिन उनको भी …
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on April 11, 2012 at 5:27pm — 2 Comments

लुत्फ़-ए-बुढ़ापा

लुत्फ़-ए-बुढ़ापा 




एक कतरा दर्द-ए-दिल का उनके ही काम आया

जब मिला न कोई हमदर्द तो यही काम आया  
हम तो 'दीपक' की मानिंद जले जलते गए
मेरा रोना भी उन्हें शायद न…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on March 28, 2012 at 3:06pm — 7 Comments

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