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GOPAL BAGHEL 'MADHU''s Blog – March 2011 Archive (3)

अनमनी आकुल अखिल की आस्थाएं

अनमनी आकुल अखिल की आस्थाएं

(मधु गीति सं. १७२५ , दि. १४ मार्च, २०११)

 

अनमनी आकुल अखिल की आस्थाएं, व्यवस्था की अवस्था का सुर सुधाएं;

चेतना भरकर…

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Added by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on March 31, 2011 at 12:00pm — 2 Comments

हर उर भरे रंग हर होली कर संग

हर उर भरे रंग हर होली कर संग 

(मधु गीति सं. १७३३, दि. २० मार्च, २०११) 

 

हर उर भरे रंग, हर होली कर संग;…

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Added by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on March 20, 2011 at 1:49pm — 2 Comments

इन अकेली वादियों में चले आये

इन अकेली वादियों में चले आये

(मधु गीति सं. १७१७, दि. १० मार्च, २०११)

 

इन अकेली वादियों में चले आये, भरा सुर आवादियों का छोड़ आये;

गान तुम निस्तब्धता का सुन हो पाये, तान नीरवता की तुम खोये सिहाये.…

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Added by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on March 17, 2011 at 1:06pm — 2 Comments

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