For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सालिक गणवीर's Blog – September 2020 Archive (5)

सूखी हुई है आज मगर इक नदी है तू...( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

221 2121 1221 212

सूखी हुई है आज मगर इक नदी है तू

मैं जानता हूँ रेत के नीचे दबी है तू

मरना है एक दिन ये नई बात भी नहीं

जी लूँ ऐ ज़िंदगी तुझे जितनी बची है तू

आँखों को चुभ रही है अभी तेरी रौशनी

काँटा समझ रहा था मगर फुलझड़ी है तू

ऐ मौत कोई दूसरा दरवाजा खटखटा

आवाज़ मेरे दर पे ही क्यों दे रही है तू

हर बार ये लगा है तुझे जानता हूँ मैं

महसूस भी हुआ है कभी अजनबी है तू

आज़ाद हो रही…

Continue

Added by सालिक गणवीर on September 28, 2020 at 10:00pm — 18 Comments

धुआँ उठता नहीं कुछ जल रहा है..( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

1222 1222 122

धुआँ उठता नहीं कुछ जल रहा है

मुझे वो आग बन कर छल रहा है

पिछड़ जाउंँगा मैं ठहरा कहीं गर

ज़माना मुझसे आगे चल रहा है

बहुत ख़ुश था मैं तन्हाई में पर अब

ये सूनापन मुुझे क्यों खल रहा है

अंधेरे में उसे दिखता मैं कैसे

मगर फिर भी वो आँखें मल रहा है

बड़ा होकर दुखों में छाँव देगा

जो ये पौधा ख़ुशी का पल रहा है

निगल जाएगा मुझको भी अँधेरा

ये…

Continue

Added by सालिक गणवीर on September 20, 2020 at 1:30pm — 7 Comments

कह रहे हैं जब सभी तुम भी कहो..( ग़ज़ल : सालिक गणवीर)

2122 2122 212

कह रहे हैं जब सभी तुम भी कहो

आँख मूँदो आम को इमली कहो

बोलते हो झूठ लेकिन एक दिन

आइने के सामने सच ही कहो

कौन रोकेगा तुम्हें कहने से अब

तुम ज़हीनों को भी सौदाई कहो

कैसे कहता कह न पाया आज तक

दोस्तों को जब कहो बैरी कहो

वो नहीं कहता है तू भी कह नहीं

जब कहे हाँ तुम भी तब हाँ जी कहो

वो बने हैं एक दूजे के लिए

दोस्तों उनको दिया बाती कहो

कह नहीं पाया मैं…

Continue

Added by सालिक गणवीर on September 17, 2020 at 8:30am — 8 Comments

जहाँ की नज़र में वो शैतान हैं..( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

122 122 122 12

जहाँ की नज़र में वो शैतान हैं
समझते हैं हम वो भी इंसान हैं

न हिंदू न यारो मुसलमान हैं
यहाँ सबसे पहले हम इंसान हैं

खु़दा कितने हैं ,कितने भगवान हैं
यही सोचकर लोग हैरान हैं

नहीं उनको हमसे महब्बत अगर
हमारे लिये क्योंं परेशान हैं

रिहा कर मुझे या तू क़ैदी बना

तेरे हैं क़फ़स तेरे ज़िंदान हैं

*मौलिक एवं अप्रकाशित.

Added by सालिक गणवीर on September 11, 2020 at 5:30pm — 11 Comments

क्या जाने किस जनम का सिला दे गया मुझे..( ग़ज़ल : सालिक गणवीर)

221 2121 1221 212

क्या जाने किस जनम का सिला दे गया मुझे

था बेगुनाह फिर भी सज़ा दे गया मुझे

कैसे यक़ीन कीजिए ग़ैरों की बात का

समझा था जिसको अपना दगा दे गया मुझे

लम्बी हो उम्र मेरी दुआ मांँगता रहा

मरने की मुफ़्त में जो दवा दे गया मुझे

उसके इशारों को मैं समझ ही नहीं सका

गूंँगा था आदमी जो सदा दे गया मुझे

ग़ज़लें पुरानी ले गया आया था ख़्वाब में

इनके इवज में घाव नया दे गया मुझे

भीगा था जिस्म…

Continue

Added by सालिक गणवीर on September 6, 2020 at 10:00pm — 18 Comments

Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service