For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नाथ सोनांचली's Blog – February 2017 Archive (4)

रिश्तों में गर रार करोगे (तरही गजल)

22 22 22 22



रिश्तों में जब रार करोगे

कुनबा अपना ख्वार करोगे ||



पैर तुम्हारा बच पायेगा?

राहें गर पुर खार करोगे ||



जाति धर्म पर वोट दिया तो

मत अपना बेकार करोगे ||



हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई

सब इक, कब स्वीकार करोगे? ||



लोकतंत्र के तुम प्रहरी हो

भ्रष्ट तंत्र पर वार करोगे? ||



राजनीति बूढों से बोली

*हमसे कितना प्यार करोगे?* ||



धन के साथ बँटेगा दिल भी

जो ऊंची दीवार करोगे ||



चीर हरण… Continue

Added by नाथ सोनांचली on February 22, 2017 at 1:00pm — 13 Comments

मैं भी गलती करता हूँ (तरही गजल)

बह्र 22 22 22 2

हाड़ मास का पुतला हूँ
मैं भी गलती करता हूँ ||

बच्चों को फुसलाने में
दिल रोये पर हँसता हूँ ||

जाति धर्म के बीच फँसी
लोक तंत्र की जनता हूँ||

सीख न पाया मैं लहजा
यूँ तो ग़ज़लें कहता हूँ ||

जीवन नश्वर है फिर भी
आशाओं पर जीता हूँ ||

अंक गणित सा जीवन है
गुणा भाग में उलझा हूँ ||

साथ लिए  इक ख़ालीपन
"अपनी धुन में रहता हूँ ||"


(मौलिक व अप्रकाशित)'₹

Added by नाथ सोनांचली on February 19, 2017 at 2:53pm — 26 Comments

अंधकार में सोयी तेरी रूह जगाने आया हूँ

क्या थे कल तुम आज हुए क्या यही बताने आया हूँ |

अंधकार में सोयी तेरी रूह जगाने आया हूँ ||

याद अतीत करो अपना जब तुम तूफान उठाते थे |

सुनकर बस इक तेरी आहट अरिदल हिय थर्राते थे ||1||



पत्थर भी साक्षी हैं तेरे, उन सच्चे बलिदानों के |

मातृभूमि पर मरने वाले, बांका वीर जवानों के ||

पूर्वज मुट्ठी भर थे लेकिन लाखों पर वे भारी थे |

पलभर में दुश्मन नष्ट किये जो बने महामारी थे ||2||



इसी धरा पर कोई बाला अग्नि चिता पर लेटी थी |

वक़्त पड़ा तब शीश कटाने…

Continue

Added by नाथ सोनांचली on February 17, 2017 at 7:30am — 6 Comments

झुग्गियाँ

आज सुनो मैं तुमको यारों, सच्ची बात बताता हूँ |

झुग्गी में रहने वालों की, इक तस्वीर दिखाता हूँ ||

दूषित पानी हवा विषैली, जैसी कई निशानी है |

ये प्यासे नित कूँआ खोदें, इनकी यही कहानी है |1|



कोई बच्चा फेंका जूठन, जहाँ प्यार से खाता है |

कोई बचपन से ही घर का, सारा बोझ उठाता है ||

यहाँ घरों में हर बालक का, जन्म कर्ज में होता है |

उम्र कर्ज में ही कटती है, कर्ज लिए ही सोता है |2|



कोई नन्ही बुधिया मुनिया, नग्न बदन दिख जाती है |

कोई बुढ़िया बिन… Continue

Added by नाथ सोनांचली on February 12, 2017 at 2:30pm — 12 Comments

Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आ. सरना साहब नमस्कार  ! अच्छा कुण्डलिया छंद,  'गौरैया' हुआ  !…"
5 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
26 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
11 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
11 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
11 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
11 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
11 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
12 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
12 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service