For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण रामानुज लडीवाला's Blog – December 2012 Archive (10)

चीर हरण अब मत होने दो

दामिनी बोली मै तो जाती हूँ -
पर तुम सब मेरी बात सुनो,  
खुद ही लाज बचालो अपनी, 
चीर हरण अब मत होने दो ।
द्वापर नहीं यह कलियुग हैं,
इसमें कृष्ण नहीं आपायेंगे…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 31, 2012 at 7:30pm — 13 Comments

अब सदबुद्धि का वरदान दे

दामिनी गयी दुनिया से देख,

क्या विधाता का यह लेख है |

बेटी पूछती अपना कसूर,

क्यां इंसानियत कुछ शेष है।

बेटे में ऐसा क्या है अलग,

जो देता दर्जा उसे विशेष है।

क्यों न सख्त सजा अपराध की,

गर तराजू करता इन्साफ है ।

मूक है शासक चादर ताने,

हैवानियत छू रही आकाश है ।

मानवता पर लग रहा कलंक,

सभ्य समाज का पर्दाफाश है ।

कानून बना है, और बन जाएगा,

उससे क्या संस्कार आ जायेगा।

समाज और सरकार अब जानले,

नैतिक शिक्षा जरूरी यह…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 29, 2012 at 6:30pm — 8 Comments

महिला उत्पीडन -कारण और निवारण

 
नारी  शब्द की ही क्यों बात करे, लड़की हो, महिला हो, स्त्री हो, पर अकेली हो, तो जो आकर्षण होता है, यह सर्व विदित है। 
यह इस समस्या के मूल में है । कैसा आकर्षण बनाया है नियति ने । जब आकर्षण होता है, मन लालायित होता है और 
भोग की वस्तु की तरह मन टूट पड़ता है । या तो सन्यासी जीवन हो, या फिर शिक्षा व्यवस्था प्राचीन…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 22, 2012 at 11:00am — 18 Comments

अब और विलम्ब न चाहते

 
जहाँ पूजित है नारी वहां फिर क्यों शर्मसार हुई है,
स्वच्छंद विचरण का क्या उसको अधिकार नहीं है ।
जहाँ वोटों के राजनीति, गुण्डों की तूती बजती है,
पंगु है क़ानून व्यवस्था, जो हमको बेहद खलती है  ।…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 20, 2012 at 3:46pm — 8 Comments

हम ही अब लाचार

एक से बढ़कर एक रहे,घोटाले इस बार,
जन जन की यही व्यथा, साँसत में सरकार ।
 
ठप्पा अब यह लग गया, घोटाला सरकार,
मत इनको हमने दिया, हम ही अब लाचार । 
 
अब…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 16, 2012 at 2:25pm — 2 Comments

वर्ना फिर पछताय

अंधी जीवन दौड़ में, व्यथा करो न होड़        
ज्यादा धन की दौड़ में,है तनाव का मौड़ ।
 
लूट लूट कर घर भरा, जोड़े लाख करोड़,
साथ न वह ले जा सका,गया यही पर छोड़
  

घातक तनाव जो करे,…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 14, 2012 at 12:30pm — 4 Comments

बढे साँस की पीर

निज मकान प्राप्त करे,कर कर्जे का भार, 

क्रेडिट कार्ड से भी ले,अब आसान उधार।

  

क्रेडिट कार्ड बोझ तले,नित दबता ही जाय ,

इस…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 11, 2012 at 6:30pm — 10 Comments

झेल रही है बेटियाँ

धरती माँ ही पालती, रख नारी का मान,

यही रहेगी संपदा, कर नारी के नाम ।

बहती नदी सी नारी, दूजे घर को जाय,

अपनावे ता उम्र ही, घर उसका हो जाय ।

ममता भाव की भूखी, केवल चाहे मान,

रुखी सूखी पाय भी, घर की रखती शान ।

झेल रही है बेटियाँ, अपना सब अपमान,

बाँध टूटता सब्र का, तुझे न इसका भान ।

नारी का सम्मान करे, तब घर का तू नाथ,

दूजे घर को छोड़ कर, पकड़ा तेरा हाथ ।

लड़के की ही चाह में, सहन किया है पाप,

भ्रूण हत्या पाप करे, झेले फिर संताप…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 7, 2012 at 11:00am — 12 Comments

दुष्टो की है देह (दोहे)

 
 नहीं रहा अब गाँव में, भाईचारा भाव,
खेतो में बढ़ने लगे, नित क्लेश के भाव ।
 
 
नहीं रहा अब शहर में, जीना यूँ आसान,
जगते है अब चाय से, रात जाम की शान ।
 
मोल झूंठ का बढ रहा, संत जगत भी मौन,
सच सस्ते में बिक रहा, सच बोले अब…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 4, 2012 at 7:00pm — 13 Comments

जागरूक कर जाय

लूट व् भ्रष्टाचार से, भरा पड़ा अखबार,
ह्त्या, बलात्कार से, ख़बरों की भरमार ।
 
घोटालों की भरमार, जनता को सब भान
जाँच करा लिपापोती, सरकार की ये शान ।
 
सुर्खियों में रहना ही, नेता समझे शान,
चर्चा में हरदम रहे,  नेता उसको जान…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2012 at 1:30pm — 14 Comments

Monthly Archives

2017

2016

2015

2014

2013

2012

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service