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लक्ष्मण रामानुज लडीवाला's Blog – November 2012 Archive (11)

पत्नी का खतरनाक बाउंसर (हास्य व्यंग

सचिन तेंदुलकर बोंले -

पत्नी का गुस्सा तेज है

पत्नी के आगे निस्तेज है

हमने कहाँ पत्नी के आगे

सभी पति निस्तेज है

वे बोंले -

बाँल से भी खतरनाक है

बेलन बाँल से क्या कम

खरतनाक है ?

बाँल तो दूर से आती है

बेलन तो हाथ में रखती है ।

पत्नी के बाउंसर से -

हर पति डरता है,

कमाई ला झट से -

हाथ में धर देता है ।

फिर जरुरत पड़ने पर

हाथ फैलाना पड़ता है ।

यह कोई नयी बात नहीं है

हर युग में होता आया है

कृष्ण ने राधिका… Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 25, 2012 at 5:57pm — 6 Comments

बदल गयी तरकीब

काकी आई शहर से, सुनो शहर का हाल,

फ़ार्म हाउस बन रहे, धनवानों की चाल ।



धनवानों की चाल है, खेती का क्या काम

बचजाये बस आयकर,ये ही उनका काम ।



फार्म हाउस में हो रहे, कैसे कैसे काम,

नेता बने किसान है, छलक रहे है जाम ।



किसान खेतहीन हुए, जमींदार सब नाथ,

बँट में खेत जोत रहे, घरवाली के साथ ।



घरवाली को साथ ले, खेतो में जुट जाय,

दुपहरी की रोटी भी, छाँव तले ही खाय ।



जनता के इस राज में, बदल गयी तरकीब,

नेता सब मालिक बने, देखा… Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 24, 2012 at 10:00am — 13 Comments

पल्लम पेल -ठल्लम ठेल

देश में चल रही रेस 
जो जीता,नायक उसका-
बना नरेश,
जो हारा झटके से 
उसको लगती भारी ठेस ।
नेताओ ने बदला भेष, 
शेर की खाल में-
देखो गीदड़ की चेस ।
हावी हो रहे हैवान,
बढ़ते जा रहे शैतान ; 
जनता सब है हैरान,
नहीं रहे अब कद्रदान…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 23, 2012 at 1:08pm — 12 Comments

जन्मदिन की शुभकामनाओ पर तहे दिल से धन्यवाद आभार (19 नवम्बर,2012)

ओबीओ ही मात्र मंच, जहाँ मिले प्यार कुछ ख़ास 
सड़सठ पार बसंत पर, हुआ अहसास कुछ ख़ास ।
 
हुआ अहसास कुछ ख़ास, घर में ख़ुशी मनाई,
दूरभाष पर मित्र ने रह रह  घंटी खूब बजाई ।
 
धन्यवाद किस विधि मै करू, शब्द नहीं है पास,
धन्यवाद प्रभु आपका, जीवन में भरी मिठास ।
 
ओबीओ में प्रभु कृपा से,…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2012 at 11:00am — 2 Comments

छियासी वर्षीय मराठी नेता को श्रद्धांजली

बाला साहेब ठाकरे अब नहीं रहे 
उन्हें हजारे लोग श्रद्धांजली देते रहे 
किसी ने उन्हें महाराष्ट्र का शेर कहा 
किसी ने उन्हें शिवाजी के बाद का 
मराठी सेवक कह कर नवाजा है ।
देश के बड़े कार्टूर्निष्टों में से एक थे
"सामना"में छपे उनके लेख बताते- 
स्पष्ट-वक्ता बेबाक टिपण्णी करनेवाले, 
जिनके साथ लाखो लोग यात्रा में चल रहे 
हजारे…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 18, 2012 at 4:36pm — 4 Comments

बचपन की यादो का चिटठा- लक्ष्मण लडीवाला

रह रह कर बचपन  याद आता है मुझे 
क्यां अल्हड मस्ती थी मेरे गाँव में 
सब बह गया लगता है अब- 
शहर के इस सीमेंट कंक्रीट की छाव में 
खूब खेलते थे मस्ती से सब मिल-
गाँव के खेत में, पेड़ की छाँव में ।
 
यदा कदा बेबस ही बचपन याद आता है,
देखते थे रम्भाती गायों को  साँझ में,
नाचते मोरों के झुंडो को खेत में,
सुनते थें कोयल की कुहू कुहू,
सारी यादे हवा हो गयी अब- 
शाद बह…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 15, 2012 at 10:30am — 2 Comments

नमन करो सोंधी मिटटी को

कुम्हार की लक्ष्मी के भी 
देखे मैंने हाथ सने 
चढ़ी चाक पर मिटटी फिर से 
फिर से दीप बने 
 
रम्भा रहे थे गधे भी 
कैसे मूक बने 
आज समय उल्लूजी का 
देशाटन को -
लक्ष्मी वाहन वही बने 
 
लक्ष्मी हुई ओझल
उल्लूजी बैठे…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 13, 2012 at 7:18pm — 6 Comments

जीवन ज्योतिर्मय करदे (गीत)

दीप-ज्यौति के पावन पर्व पर

मुझको, माँ लक्ष्मी ऐसा वर दे |

उज्जवल वस्त्र, सुरभित तन-मन,

सुगन्धित मधुवन सा घर-आँगन दे |

सरस-मलाई मधुमय-व्यंजन दे |

तिमिर छट जाये जीवन में.

जीवन ज्योतिर्मय हो जाये |

आगंतुक का स्वागत करने

पलक पावडे बिछे नयनों में,

दिल में अपनापन हो,

ऐसा मुझको मन-मयूर दे |

सरस्वती के साधक

"लक्ष्मण" पर माँ शारदे,

तेरा वरदहस्त रखदे ।

ध्यान करू मै तेरा और-

आनंदित करू जन-जन को,

कोकिल कंठी स्वर देकर,

मेरे मन गीतों…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 12, 2012 at 10:00am — 6 Comments

अभी बच्चा है,देश का भविष्य है

सात साल का मेरा पोता-

 है अभी छोटा 
जिसे चाहिए खिलौना 
नित नया, 
खोलकर या तोड़कर 
देखने को, 
क्या है उसमे नया ।
कंप्यूटर पर जब मै 
थक जाता, पर 
कनेक्ट नहीं कर पाता, 
तो पोता कहता, 
कहता ही क्या- 
झट कनेक्ट कर जाता ।
उसकी टीचर से…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 6, 2012 at 6:24pm — 10 Comments

तृष्णा हर ले साकी

 
 
मुग्ध हुआ देख तेरे चितवन नयनों का प्याला,
मेरे नयनों में लेलु थोड़ी,तेरी मुग्ध…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 4, 2012 at 5:30pm — 5 Comments

आज के दिन दिनांक 3 नवम्बर,1688 को जयपुर के संथापक सवाई जय सिंह का जन्म हुआ था, उन्हें काव्यमय श्रद्धांजलि -

 

वेध शालाओ के संथापक -
धर्म ज्योतिष व् संस्कृति के मसीहा,
राजाओ में राजा एक हुए तनहा 
राजनीतिज्ञ,कुशल प्रशासक 
जयपुर के संस्थापक
अश्वमेघ यज्ञ के अंतिम चक्रवर्ती
जाकी शोभा जगत में…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2012 at 11:23am — 2 Comments

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