For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कल्पना रामानी's Blog – June 2014 Archive (4)

गज़ल /कल्पना रामानी

मुझको तो गुज़रा ज़माना चाहिए।

फिर वही बचपन सुहाना चाहिए।

 

जिस जगह उनसे मिली पहली दफा,

उस गली का वो मुहाना चाहिए।

 

तैरती हों दुम हिलातीं मछलियाँ,

वो पुनः पोखर पुराना चाहिए।

 

चुभ रही आबोहवा शहरी बहुत,

गाँव में इक आशियाना चाहिए।

 

भीड़ कोलाहल भरा ये कारवाँ,

छोड़ जाने का बहाना चाहिए।

 

सागरों की रेत से अब जी भरा,

घाट-पनघट, खिलखिलाना चाहिए।

 

घुट रहा दम बंद पिंजड़ों में…

Continue

Added by कल्पना रामानी on June 30, 2014 at 2:30pm — 21 Comments

गोल रोटी/लघुकथा/कल्पना रामानी

माँ ने आज उसके हाथ पर पूरी गोल रोटी और गुड का टुकड़ा रखा तो गोलू की आँखें आश्चर्य से फैल गईं। पलटकर आसमान की ओर देखा। पूनम का गोल चाँद चमक रहा था। दोनों की नज़रें मिलीं और एक मीठी सी मुस्कान हवा में घुल गई।

.

मौलिक व अप्रकाशित

Added by कल्पना रामानी on June 24, 2014 at 9:00am — 17 Comments

धरती को पैगाम/नवगीत/कल्पना रामानी

 

इन्द्र्देव ने भेज दिया है

धरती को पैगाम।

 

बूँदों से है लिखी इबारत।  

बदलेगी जन-जन की किस्मत।  

मानसून इस बार करेगा

सबके मन की पूरी हसरत।  

 

भर चौमासा घन बरसेंगे

झूम झूम अविराम।

 

हरषेगा खेतों में हँसिया।

अन्न बीज रोपेगा हरिया।

उड़ जाएगी निकल नीड़ से,

बेबस हो महँगाई…

Continue

Added by कल्पना रामानी on June 22, 2014 at 2:42pm — 12 Comments

किताबें कहती हैं/गज़ल/कल्पना रामानी

मात्रिक छंद

हमसे रखो न खार, किताबें कहती हैं।

हम भी चाहें प्यार, किताबें कहती हैं।



 घर के अंदर एक हमारा भी घर हो।  

भव्य भाव संसार, किताबें कहती हैं।



 बतियाएगा मित्र हमारा नित तुमसे,  

हँसकर  हर किरदार, किताबें कहती हैं।



 खरीदकर ही साथ सहेजो, जीवन भर,

लेना नहीं उधार, किताबें कहती हैं।



 धूल, नमी, दीमक से डर लगता हमको,

रखो स्वच्छ आगार, किताबें कहती हैं।



 कभी न भूलो जो संदेश…

Continue

Added by कल्पना रामानी on June 17, 2014 at 2:30pm — 22 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदाब, उस्ताद-ए-मुहतरम, आपका ये ख़िराज-ए-तहसीन क़ुबूल फ़रमा लेना मेरे लिए बाइस-ए-शरफ़ और मसर्रत है,…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदाब, उस्ताद-ए-मुहतरम, आपका ये ख़िराज-ए-तहसीन क़ुबूल फ़रमा लेना मेरे लिए बाइस-ए-शरफ़ और मसर्रत है,…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदाब, उस्ताद-ए-मुहतरम, आपका ये ख़िराज-ए-तहसीन क़ुबूल फ़रमा लेना मेरे लिए बाइस-ए-शरफ़ और मसर्रत है,…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"सादर अभिवादन "
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"स्वागतम"
15 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत बहुत शुक्रिय: जनाब अमीरुद्दीन भाई आपकी महब्बतों का किन अल्फ़ाज़ में शुक्रिय:  अदा…"
Thursday
Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी, सलामत रहें ।"
Thursday
Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत बहुत धन्यवाद भाई अशोक रक्ताले जी, सलामत रहें ।"
Thursday
Samar kabeer commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"//मुहतरम समर कबीर साहिब के यौम-ए-पैदाइश के अवसर पर परिमार्जन करके रचना को उस्ताद-ए-मुहतरम को नज़्र…"
Thursday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"चूंकि मुहतरम समर कबीर साहिब और अन्य सम्मानित गुणीजनों ने ग़ज़ल में शिल्पबद्ध त्रुटियों की ओर मेरा…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service