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Bhasker Agrawal's Blog – May 2011 Archive (1)

खिड़की के उस तरफ

इक छोटा सा पंछी मेरे कमरे की खिड़की के बराबर से गुजरते तारों पे बैठा रहता है दिनभर

हर वक्त मौन सा रहता,

निहारता सामने के बागों को,

इमारतों पे सर पटकती किरणों को,

परदेसी पवन के झोकों को हरे वृक्षों से आलिंगन करते हुए ..



कभी कभी जो में खिडकी के पास आता हूँ उसे देखने, तो वो मेरी तरफ मुड़कर बैठ जाता है

लगता है जैसे अपनी शांत आखों से मेरे अशांत चित्त को देखकर कह रहा हो

के तुम भी हो कुछ मेरे जैसे वहाँ खिड़की के उस तरफ

फर्क है इतना के तुम हो अपने में ही उलझे… Continue

Added by Bhasker Agrawal on May 6, 2011 at 5:07pm — 2 Comments

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