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दिनेश कुमार's Blog – November 2018 Archive (2)

ग़ज़ल -- फ़लक में उड़ने का क़ल्बो-जिगर नहीं रखता / दिनेश कुमार

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फ़लक में उड़ने का क़ल्बो-जिगर नहीं रखता

मैं वो परिन्दा हूँ जो बालो-पर नहीं रखता

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न चापलूसी की आदत, न चाह उहदे ( पदवी ) की

फ़क़ीर शाह के क़दमों में सर नहीं रखता

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उरूज और ज़वाल एक से हैं जिसके लिये

वो हार जीत का दिल पर असर नहीं रखता

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मिला नसीब से जो कुछ भी, वो बहुत है मुझे

पराई चीज़ पे मैं बद-नज़र नहीं रखता

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नशा दिमाग़ पे दौलत का जिसके जन्म से हो

वो अपने पाँव कभी फ़र्श पर नहीं रखता

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वो इस…

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Added by दिनेश कुमार on November 16, 2018 at 3:04pm — 8 Comments

ग़ज़ल -- नेकियाँ तो आपकी सारी भुला दी जाएँगी / दिनेश कुमार

2122---2122---2122---212

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नेकियाँ तो आपकी सारी भुला दी जाएँगी

ग़लतियाँ राई भी हों, पर्वत बना दी जाएँगी

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रौशनी दरकार होगी जब भी महलों को ज़रा

शह्र की सब झुग्गियाँ पल में जला दी जाएँगी

.

फिर कोई तस्वीर हाकिम को लगी है आइना

उँगलियाँ तय हैं मुसव्विर की कटा दी जाएँगी

.

इनके अरमानों की परवा अह्ले-महफ़िल को कहाँ

सुबह होते ही सभी शमएँ बुझा दी जाएँगी

.

नाम पत्थर पर शहीदों के लिखे तो जाएँगे

हाँ, मगर क़ुर्बानियाँ उनकी भुला दी…

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Added by दिनेश कुमार on November 7, 2018 at 10:22am — 15 Comments

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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