For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी's Blog (64)

जीवन का सत्य

(१)

सुख औ दु:ख

प्रकृत या प्रारब्ध

मधु औ डंक।

(२)

आग औ धूम

प्रकाश संग तम

शराब गम।

(३)

आशा निराशा

कुछ पाने की आशा

पर हताशा।

(४)

मन है प्यासा

उत्कट अभिलाषा

जीत की आशा।

(५)

हार में जीत

हर जन से प्रीत

रहो निर्भीत।

(६)

पाने की चाह

उमंग औ उत्साह

सरल राह।

(७)

एकाग्र दृष्टि

सफलता की वृष्टि

मन की तुष्टि।

(८)

धैर्य औ ध्यान

उत्साह का उफान

लक्ष्य… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 14, 2012 at 9:00pm — 6 Comments

कल्पद्रुम

मेरा नीड़ जिस पेड़ पर है

लोग उसे कल्पद्रुम कहते हैं

जनविश्रुत है-

वह सब कुछ देता है

जो उससे मांगा जाता है

क्या यह सच है?

मेरे देखने में तो नहीं।

क्यों?

क्योंकि

वह कल्पद्रुम खामोश सा

खड़ा रहता है

अहर्निश!!!

उसके पत्ते गिर रहे हैं

सड़-सड़ कर

टहनियां सूख रही हैं

जड़ें धीरे-धीरे

ऊपर आ रहीं हैं

वह प्यासा मर रहा है

एक घूंट पानी बिन

कार्बन डाई ऑक्साइड के बजाय

ऑक्सीजन ले रहा है

अब वह खामोश… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 14, 2012 at 7:45pm — 6 Comments

प्यार का आल्हा

चढ़ल जवानी कै उदल जब,देहिया गढ़ के ऊपर नाय।

नैना यकटक देखन लागे,पुरवा चले देह घहराय॥

चन्द्रमुखी जब तिरछा ताकै,तन के आरपार होइ जाय।

मारै मुस्की जब धीरे से,दिल कै टूक-टूक उड़ि जाय॥

उड़ै दुप्ट्टा जब कान्हे से,मानौ दुइ गिरिवर बिलगाय।

देख के गोरिक भरी जवानी,लरिके मंद-मंद मुस्काय॥

आओ पंचो प्यार कै आल्हा,सुनि लौ आपन कान लगाय।

अइसन मौका फिर जिन्गी में,शायद मिलै न कब्भो आय॥

जेका यह जिन्गी में कब्भो,प्यार के रोग लगा है नाय।

मानों वै मानो कै जोनी,आपन विरथा दिहिन… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 13, 2012 at 7:01am — 25 Comments

जुदाई (गजल)

अपनों से जुदा अपने,होते हैं कहां प्रियवर।

अनमोल रतन धन,खोते हैं कहां प्रियवर॥



नजरों से दूरी तो,दूरी ही नहीं होती।

दिल से अलग अपने,होते हैं कहां प्रियवर॥



आंखों में आंसू हैं,अपनों के लिए ही हैं।

गैरों के लिए हम,रोते हैं कहां प्रियवर॥…



Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 3, 2012 at 9:30pm — 15 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
16 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service