For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

December 2010 Blog Posts (168)

कविता _ ठूंठ

कविता :- अखिल विश्व और हम



ठूंठ वृक्ष

सूखे सब पत्ते

कोटर भी पक्षी विहीन

हम कितने एकल |



छोड़ गए सब साथ

हाथ और राह भी छूटी

मील के पत्थर भी उदास

और बेकल बेकल |



संधि काल या महाकाल

क्यों स्याह घनेरा

तुम नित प्यासे

आस भरे आते जाते पल |



दूब पांव की

कोमलता की याद दिलाती

पीछे छूटे गांव छांव सब झुरमुट वाले

हम फिर चलते जैसे चलते आज और कल… Continue

Added by Abhinav Arun on December 4, 2010 at 4:05pm — 2 Comments

रिश्ता-ए-ग़म

रिश्ता-ए-गम

ग़म तो ग़म हैं ग़म का क्या ग़म आते जाते हैं

किसी को देते तन्हाई किसी को रुलाते हैं

'दीपक कुल्लुवी' पत्थर दिल है लोग यह कहते हैं

उसको तो यह ग़म भी अक्सर रास आ जाते हैं

किसने देखा उसको रोते किसने झाँका दिल में

किसने पूछा क्यों कर यह ग़म तुझको भाते हैं

कुछ तो बात होगी इस ग़म में कुछ तो होगा ज़रूर

बेवफा न होते यह साथ साथ ही आते हैं

गम से रिश्ता रखो यारो ताउम्र देंगे साथ

यह आखरी लम्हात तक रिश्ता… Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 4, 2010 at 10:00am — No Comments

यादों के पत्ते यूँ बिखरे परे है जमीं पर



यादों के पत्ते यूँ बिखरे परे है जमीं पर ,

अब कोई खरखराहट भी नही है इनमे,

शायद ओस की बूंदों ने उनकी आँखों को

कुछ नम कर दिया हो जैसे ...

बस खामोश से यूँ चुपचाप परे है ,

यादों के ये पत्ते ...



जहन मे जरुर तैरती होगी बीती वो हरयाली,

हवायें जब छु जाती होगी सिहरन भरी ..

पर आज भी है वो इर्द गिर्द उन पेड़ों के ही ,

जिनसे कभी जुरा था यादों का बंधन ..



सन्नाटे मे उनकी ख़ामोशी कह रही हो जैसे,

अब लगाव नही , बस बिखराव है हर पल… Continue

Added by Sujit Kumar Lucky on December 4, 2010 at 1:54am — No Comments

ज़िन्दगी बंदगी वरन क्या ज़िन्दगी - ग़ज़ल

ग़ज़ल

अज़ीज़ बेलगामी



नै फ़क़त खुशनुमा मश्घला ज़िन्दगी

ज़िन्दगी अज्म है हौसला ज़िन्दगी



हालत - ए -ज़हन का आईना ज़िन्दगी

निय्यत - ए -क़ल्ब का तजज़िया ज़िन्दगी



ज़िन्दगी , बंदगी .. वरन क्या ज़िन्दगी

बंदगी ही का एक सिलसिला ज़िन्दगी



ये कभी जोक - ए -सजदा की तकमील है

और कभी यूरिश - ए -कर्बला ज़िन्दगी



खौफ ने जोहर - ए -ज़िन्दगी ले लिया

अज्म ने तो मुझे की अता ज़िन्दगी



तेरी मज्बूरियौं का मुझे इल्म… Continue

Added by Azeez Belgaumi on December 3, 2010 at 12:30pm — No Comments

यह प्यार का समंदर

यह प्यार का समंदर क्यों आंखो मे समाया है
एक ठंडी सी तपिस में क्यों दिल को डुबाया है
मत देखो इस तरह...कि एक तूफ़ान सा उठता है
मन पल में सहमता है क्षण भर में मचलता है
तुम आओ तो सही हम दीवानों की महफ़िल में
इस अंजुमन की रौ में कोई पतंगा जलता है

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on December 3, 2010 at 10:19am — 4 Comments

पहली बार एक ग़ज़ल के साथ हाज़िर हो रहा हूँ : अज़ीज़ बेलगामी

ग़ज़ल

("मोहब्बत" की नज्र)



अज़ीज़ बेलगामी, बैंगलोर





ज़मीं बंजर है, फिर भी बीज बोलो, क्या तमाशा है

तराजू पर, खिरद की, दिल को तोलो, क्या तमाशा है



ज़माने से छुपा रख्खा है हम ने सारे ज़खमौं को

सितम के दाग़-ए-दामां तुम भी धोलो, क्या तमाशा है



अभी चश्मे करम की आरज़ू है सैर-चश्मों को

हो मुमकिन तो हवस के दाग़ धो लो, क्या तमाशा है



नहीं कशकोल बरदारी तुम्हारी, वजह–ए-रुसवाई

मोहब्बत मांगनी है मुह तो खोलो, क्या तमाशा… Continue

Added by Azeez Belgaumi on December 2, 2010 at 11:30am — 8 Comments

ग़ज़ल:-घर से बाहर निकल

ग़ज़ल

घर से बाहर निकल

चाँदनी में टहल |



खौफ गिरने का है

थोडा रुक रुक कर चल |



याद बचपन को कर

और फिर तू मचल |



मौत सा सच नहीं

ज़िंदगी पल दो पल |



फूल था बीज बन

पंखुरी मत बदल |



थोड़ी मोहलत मिले

फैसला जाये टल |



मैं गुनहगार हूँ

सोच मत मुझको छल |



ये घड़ा विष भरा

पी ले शिव बन गरल |



कोई झंडा उठा

कोई कर दे पहल… Continue

Added by Abhinav Arun on December 2, 2010 at 10:14am — 1 Comment

ग़ज़ल : -तुम न मेरे हुए

ग़ज़ल



तुम न मेरे हुए

घुप अँधेरे हुए |



सोन मछली हो तुम

हम मछेरे हुए |



शाम बेमन सी थी

लो सबेरे हुए |



तितली नादान थी

फिर भी फेरे हुए |



निकली बंजर ज़मी

क्यों बसेरे हुए |



याद सावन हुई

हम घनेरे हुए |



दर्द है या धुंआ

मुझको घेरे हुए |



बीन तुमने सूनी

हम सपेरे हुए |



इक बदन चाँदनी

सौ चितेरे हुए… Continue

Added by Abhinav Arun on December 2, 2010 at 9:56am — 3 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
7 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service